ME और Mtech कैंडिडेट्स के लिए अच्छी खबर, इन विषयों में NET की अनिवार्यता खत्म कर सकता है UGC
यूजीसी जल्द ही मसौदा विनियम, 2025 को अंतिम रूप देने जा रहा है. कुछ ही महीने में इसे प्रकाशित भी कर दिया जाएगा.
विश्वविद्यालयों में फैकल्टी बनने के लिए अब उम्मीदवार अपनी पसंद के विषय में नेट परीक्षा दे सकते हैं, चाहे उनके ग्रैजुएशन या पोस्ट ग्रैजुएशन में कोई भी विषय क्यों ना रहा हो. इसे लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने फिलहाल UGC में 2025 के लिए ड्राफ्ट भी जमा किया है. नेट परीक्षा के लिए ग्रैजुएशन या पोस्ट ग्रैजुएशन के विषय की अनिवार्यता खत्म होने से अब उम्मीदवार किसी भी सब्जेक्ट में परीक्षा दे सकता है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मसौदे से उच्च शिक्षा बेहतर और लचीली होने की उम्मीद जताई है.
शिक्षा मंत्री ने कही यह बात
शिक्षा मंत्री ने कहा, 'शैक्षणिक मानकों को मजबूत करने में मसौदा विनियम, 2025 को फीडबैक, सुझाव और परामर्श के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा जाएगा.' बता दें कि यूजीसी जल्द ही मसौदा विनियम, 2025 को अंतिम रूप देने जा रहा है. कुछ ही महीने में इसे प्रकाशित भी कर दिया जाएगा. नया मसौदा विश्वविद्यालयों को अपने संस्थानों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति में लचीलापन देगा.
नियमों में होंगे ये बदलाव
नए दिशा-निर्देशों के बाद यूनिवर्सिटी में फैकल्टी टीचर बनने के लिए नियमों में संशोधन किया जाएगा. माना जा रहा है कि इसके तहत कम से कम 55 प्रतिशत अंक के साथ 'मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग' (एम.ई.) और 'मास्टर्स ऑफ टेक्नोलॉजी' (एम.टेक.) में पोस्ट ग्रैजुएशन करने वाले उम्मीदवारों को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) पास किए बिना असिस्टेंट प्रोफेसर लेवल पर डायरेक्ट भर्ती करने की अनुमति मिल सकती है. हालांकि, इसे लेकर आखिरी फैसला अभी आना बाकी है.
यूजीसी के अध्यक्ष ने दी यह जानकारी
यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार के अनुसार, UGC विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में टीचर्स और अकैडमिक स्टाफ की नियुक्ति और प्रमोशन के लिए न्यूनतम योग्यता और हायरिंग एजुकेशन में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय विनियम, 2025 ही उपाय विनियम, 2018 के दिशानिर्देशों की जगह लेंगे. अगर यह लागू होता है तो विश्वविद्यालयों में फैकल्टी बनने के लिए उम्मीदवार अपनी पसंद के विषय में नेट परीक्षा दे सकेंगे, चाहे ग्रैजुएशन या पोस्ट ग्रैजुएशन में उनके पास कोई भी विषय क्यों न रहा हो. हितधारकों को ड्राफ्ट नियमों पर प्रतिक्रिया देने के लिए 5 फरवरी 2025 तक का समय दिया गया है.
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