GoodBye 2021: गुजर रहा है साल 2021, शिक्षा के क्षेत्र में देश को मिली ये सौगातें
New Year: शिक्षा के क्षेत्र के लिए देखा जाए तो वर्ष 2021 काफी महत्वपूर्ण रहा. इस वर्ष में देश को नई शिक्षा नीति, नए शिक्षा मंत्री मिलने के साथ ही बहुत सी अधिक सौगातें मिलीं.
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Happy New Year: शिक्षा हर किसी व्यक्ति के लिए आवश्यक उपकरण है. चाहें वह महिला हो या फिर पुरुष हो दोनों के लिए समान रूप से शिक्षा जरूरी है. अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को पूर्ण करने में सहायक होती है. किसी भी देश के विकास के लिए सबसे जरूरी शिक्षा होती है. इस सबको मद्देनजर रखते हुए हमारे देश में नई शिक्षा नीति लागू की गई. साथ ही इस वर्ष कोविड के चलते बोर्ड एग्जाम भी नहीं हो पाए. इसके अलावा इसी वर्ष हमारे देश को नए शिक्षा मंत्री के रूप में धर्मेंद्र प्रधान मिले.
यह हैं कुछ बड़े बदलाव
नई शिक्षा नीति
वर्ष 2021 शिक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण रहा. इस वर्ष नई शिक्षा नीति को विभिन्न राज्यों द्वारा लागू किया गया. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों ने इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाए. इस वर्ष कई विश्वविद्यालयों में एनईपी को देखते हुए कार्य किए गए. साथ ही एनईपी के प्रति विद्यार्थियों, अभिवावकों और शिक्षकों में जागरूकता लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित हुए. साथ कहीं विशेषज्ञों द्वारा इसे सराहा गया तो कहीं, इसका विरोध भी किया गया.
नए शिक्षा मंत्री
प्रधानमंत्री की कैबिनेट का विस्तार हुआ. जहां रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफे के बाद धर्मेंद प्रधान को शिक्षा मंत्री, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री बनाया गया.
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डिजिटल शिक्षा
अगर विशेषज्ञों की मानें तो कुछ का कहना है कि कोरोना महामारी आ जाने से लोगों में डिजिटल साक्षरता तेजी से बढ़ी है. हम लोग बहुत तेजी से परम्परागत शिक्षा के तरीकों को पीछे छोड़ डिजिटल शिक्षा के माध्यमों से जुड़ गए. ताकि बच्चों का भविष्य खराब न हो. लेकिन लोकसभा में डिजिटल डिवाइस के सवालों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए जहां जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश के लगभग 70% छात्र डिजिटल उपकरणों का उपयोग नहीं कर सके. झारखंड, कर्नाटक, असम और बिहार जैसे राज्यों ने सबसे अधिक संख्या दर्ज की.
सीबीएसई का बदला पैटर्न
समय की कसौटी पर खरा उतरने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने शैक्षणिक सत्र 2021-2022 के लिए एक नया पैटर्न पेश किया. नए पैटर्न में प्रत्येक के लिए 50% पाठ्यक्रम के साथ वर्ष में दो बार परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी. प्रथम सत्र की परीक्षा 90 मिनट की परीक्षा होगी जिसमें केस-आधारित और अभिकथन तर्क प्रकार एमसीक्यू होंगे. मार्च-अप्रैल में आयोजित होने वाला दूसरा कार्यकाल दो घंटे की परीक्षा होगी जिसमें लंबे और छोटे दोनों प्रश्न होंगे.
ड्रॉपआउट्स
वर्ष की शुरुआत में राइट टू एजुकेशन फोरम पॉलिसी के अनुसार हमारे देश में लगभग 10 मिलियन लड़कियों के स्कूल छोड़ने का खतरा था. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अगस्त में कहा था कि तब करीब 15 करोड़ बच्चे शिक्षा व्यवस्था से बाहर थे. यूडीआईएसई की रिपोर्ट के अनुसार, माध्यमिक विद्यालय स्तर पर भारत के लिए ड्रॉपआउट दर 17% थी, जिसमें चार राज्यों ने 30% तक ड्रॉप आउट दर दर्ज की थी.
अकादमिक जातिवाद
अपनी संस्था में जातिवाद के कारण इस्तीफा देने वाले IIT मद्रास के प्रोफेसर से लेकर दीपा मोहनन की लड़ाई तक, ऐसे कई मामले सामने आए हैं जो हमारे देश के शिक्षा क्षेत्र की अंतर्निहित जातिवादी प्रकृति को दर्शाते हैं. यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि विश्वविद्यालयों में कोई जातिगत भेदभाव न हो. पत्र में प्रशासन को ऐसे मामलों से निपटने के लिए संवेदनशील होने और इसके निवारण के लिए एक पोर्टल विकसित करने की सलाह दी गई है.
बोर्ड परीक्षाएं हुई कैंसिल
कोविड-19 का कहर बोर्ड परीक्षाओं पर भी पड़ा. जिसके चलते 2021 में होने वाली सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया. साथ ही उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित कई राज्यों ने भी बोर्ड परीक्षाएं कैंसिल कर दीं.
CTET आजीवन किया गया मान्य
देश में शिक्षक के पदों पर भर्ती के लिए जरूरी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) सर्टिफिकेट की वैधता सात वर्ष से बढ़ाकर आजीवन कर दी गई. तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस फैसले की घोषणा की थी. पहले, सर्टिफिकेट की वैधता केवल 7 वर्ष की होती थी.
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