संघर्ष से सफलता तक, सरकारी स्कूल में पढ़ी प्रियंका बनीं SDM, स्कॉलरशिप का रहा खास योगदान
स्कॉलरशिप से की MPPSC की तैयारी और आज हैं मध्यप्रदेश में डिप्टी कलेक्टर. अपनी सक्सेस स्टोरी में उन्होंने बताया कैसे मैनेज करती थी टाइम. साथ ही तैयारी के दौरान सोशल मीडिया पर भी रहीं ऐक्टिव.
क्रान्तिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने शेर लिखा था कि 'पलट देते हैं हम मौजे-हवादिस अपनी जुर्रत से, कि हमने आंधियों में भी चिराग अक्सर जलाएं हैं.' ये कथन एमपी के बैतूल जिले की निवासी प्रियंका भलावी पर पूरी तरह से सटीक बैठता है.
प्रियंका ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2020 में 23वीं रैंक हासिल की और डिप्टी कलक्टर बनने के साथ ही अपनी मां का सपना भी पूरा किया. प्रियंका ने अपने करियर को स्कॉलरशिप की मदद से अपनी पढ़ाई पूरी की है.
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स्कॉलरशिप से की MPPSC की तैयारी
प्रियंका का जन्म बैतूल जिले के गंज क्षेत्र में हुआ था. उनके पिता सरकारी शिक्षक और मां गृहणी हैं. प्रियंका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी कन्या विद्यालय से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने जेएच कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में BSc और फिजिक्स में MSc की डिग्री हासिल की. कॉलेज खत्म होने के बाद, 2017 में उन्हें सरकारी योजना के तहत दिल्ली में परीक्षा की तैयारी करने का अवसर मिला. 2020 में प्रियंका MPPSC मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए इंदौर चली गईं.
बुआ के बच्चों से मिली अधिकारी बनने की प्रेरणा
प्रियंका ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अफसर बनने की प्रेरणा अपनी बुआ के बच्चों से मिली. प्रियंका की बुआ के चारों बच्चे ग्रेड-B के अधिकारी हैं, और वे हमेशा प्रियंका से कहते थे कि उनके परिवार में केवल डिप्टी कलेक्टर की कमी है, और वह यह कमी प्रियंका ही पूरी कर सकती हैं. इस प्रेरणा ने प्रियंका को अपनी मेहनत और तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया.
मां का सपना और प्रियंका का संकल्प
प्रियंका के लिए उनकी मां का सपना था कि वह अफसर बनें. प्रियंका ने बताया कि मेरी मां हमेशा मुझ पर विश्वास करती थीं और मेरी तैयारी में उनका समर्थन हमेशा मुझे मिला. मां के इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की और डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हो गई.
चौथे अटेम्प्ट में किया पास
प्रियंका ने पहली बार 2017 में राज्य सेवा परीक्षा दी थी और पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन मुख्य परीक्षा में सफलता नहीं मिली. 2018 में वह प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाईं. हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और 2019 में तीसरे प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुंची, हालांकि उसका परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ था. 2020 में चौथे प्रयास में प्रियंका ने 23वीं रैंक हासिल कर अपना लक्ष्य पूरा किया.
इस तरह से करती थी पढ़ाई
प्रियंका ने रोजाना 8 से 10 घंटे की पढ़ाई की. वह अपनी पढ़ाई के घंटे से ज्यादा लक्ष्य पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करती थीं. प्रियंका ने बताया वो रोज सुबह उठते ही अपने दिनभर के अध्ययन का लक्ष्य लिखकर उसे अपनी स्टडी टेबल के पास चिपका देती थी और उस पर काम करती थी. रात में अपने काम का अवलोकन करती थी और यह देखती थी कि मैंने कितने लक्ष्यों को पूरा किया.
सोशल मीडिया और तैयारी
प्रियंका ने सोशल मीडिया को लेकर बताया कि मैंने कभी सोशल मीडिया का उपयोग बंद नहीं किया. मेरा मानना है कि सोशल मीडिया का सही उपयोग हमें नई जानकारियां देने में मदद करता है, लेकिन जब यह पढ़ाई में रुकावट डालने लगे, तो इसका उपयोग नियंत्रित करना चाहिए.
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