नई दिल्ली. 15 अक्टूबर से देश में कंटेनमेंट जोन के बाहर स्थित स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान खुल सकते हैं. हालांकि, शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने का निर्णय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर छोड़ा गया है. शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक स्कूल-कॉलेजों के खुलने के बाद भी छात्रों पर अटेंडेंस का दबाव नहीं बनाया जा सकेगा.
स्कूल में प्रवेश करने से पहले छात्रों को अपने अभिवावक का लिखित अनुमति पत्र लाना होगा. बता दें कि स्कूल खुलने के बाद भी छात्र उसी सूरत में स्कूल के अंदर जा पाएंगे जब वो अपने अभिवावक से लिखित अनुमति लेकर आएंगे. अटेंडेंस में छात्रों को छूट दी जाएगी. किसी किस्म की सख्ती नहीं की जाएगी. छात्र चाहें तो स्कूल आने की बजाए ऑनलाइन क्लास जारी रख सकते हैं. स्कूल खुलने के पहले दो से तीन हफ्तों में छात्रों से कोई भी असाइनमेंट नहीं लिया जाएगा.
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनी स्थानीय जरुरतों के आधार पर स्कूलों को फिर से खोलने के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी अपनी-अपनी मानक संचालन प्रक्रिया तय करेंगे. शिक्षा मंत्रालय ने 15 अक्टूबर से चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को फिर से खोलने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. स्कूल खुलने के दो-तीन सप्ताह तक कोई परीक्षा नहीं होगी, उपस्थिति में भी छूट दी जाएगी. स्कूल सुनिश्चित करें कि लॉकडाउन के दौरान घर में हो रही पढ़ाई से स्कूल में होने वाली पढ़ाई में हुआ बदलाव सुगम रहे.
छात्रों से जो परीक्षाएं और असाइनमेंट लिए जाएंगे वो सीखने की प्रक्रिया को बढ़ाने वाले होने चाहिए और कागज-कलम की बजाए अलग तरीकों से इसकी जांच होनी चाहिए. शिक्षा मंत्रालय के दिशानिर्देश में कहा गया कि स्कूल खोलने की एसओपी (दिशानिर्देश) छात्रों और शिक्षकों के स्वास्थ्य और भावनाओं को ध्यान में रखकर हर स्कूल को बनाना चाहिए. सुरक्षा मानकों का समुचित ध्यान कोरोनाकाल में हर शैक्षणिक संस्थान को रखना होगा.
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