कोरोनावायरस महामारी के समय में जब लोगों की नौकरी जा रही है तो कई लोगों ने कमाई का जरिया भी तलाश लिया हैं. दरअसल कुछ लोग सेल्फ फाइनेंस्ड इंस्टीट्यूट्स (SFIs) में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को हार्डसेल कर बदले में प्रति छात्र 13,000-20,000 रुपये का अट्रैक्टिव इनसेंटिव ले रहे हैं.


प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने कंसलटेंट के साथ किया समझौता साइन


गौरतलब है कि नॉर्थ गुजरात में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने हाल ही में अपने डिप्लोमा और डिग्री इंजीनियरिंग कोर्सेस में ज्यादा से ज्यादा छात्रों को नामांकित करने में मदद करने के लिए एक कंसलटेंट के साथ समझौता ज्ञापन साइन किया है.


इसके मुताबिक डिप्लोमा इंजीनियरिंग कोर्सेस में मिनिमम 70 स्टूडेंट्स को एनरोल कराने पर कंसलटेंट को 13,000 रुपये प्रति छात्र भुगतान किया जाएगा. जबकि 40 छात्रों तक एनरोलमेंट कराने पर इंसेटिव 18,000 रुपये प्रति छात्र और 20,000 रुपये प्रति छात्र 40 से अधिक छात्रों की भर्ती के लिए होगा. वहीं एमएससी कोर्सेस में स्टूडेंट्स का एनरोलमेंट कराने पर कंसलटेंट को 5,000 रुपये का इंसेंटिव दिया जाएगा.


कई SFI को अस्तित्व बचाने के लिए लड़नी पड़ रही लड़ाई


जानकारी के मुताबिक कई SFI ने अपने स्टूडेंट्स एनरोलमेंट को बढ़ावा देने के लिए इस रूट को अपनाया है क्योंकि 50% से अधिक डिग्री इंजीनियरिंग सीटें खाली ही पड़ी रहती थी जिसकी वजह से बड़ी संख्या में कॉलेजों को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.  


आंकड़ो पर गौर करें तो 2020 में इंजीनियरिंग की 64087 डिग्री सीटों में से 58 फीसदी सीटें खाली रह गई थीं. वहीं 2019 में 57 फीसदी सीटें खाली रह गई थीं जबकि 2018 में 52 फीसदी सीटें खाली थीं.


गजरात राज्य सेल्फ फाइनेंस्ड कॉलेज प्रबंधन संघ के अध्यक्ष जनक खंडवाला कहते हैं कि 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों की बड़ी संख्या अस्तित्व के लिए माथापच्ची कर रहे कॉलेजों के लिए लाइफलाइन साबित हो सकती है.


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