पटना: बिहार बोर्ड के मैट्रिक के नतीजों ने बता दिया कि कामयाबी किसी दौलत की मोहताज नहीं होती, अगर गुलाम होती है तो मेहनत की, लगन की और पक्के इरादे की. एक सब्जी बेचने वाले के बेटे हिमांशु राज के टॉप करने का करिशमा तो यही कहता है. याद रहे कि हिमांशु ने मैट्रिक की परीक्षा में 96.20 फीसद अंकों के साथ बिहार में टॉप किया है.
टॉपर को मिले 481 अंक
हिमांशु को बिहार बोर्ड के मैट्रिक की परीक्षा में 500 अंकों में से 481 नंबर मिले हैं. हिमांशु का संबंध एक गरीब परिवार से है. वो अपने पिता के साथ सब्जी बेचने में भी साथी रहा है. लेकिन पढ़ने की लगन ने उसे वो कामयाबी दी कि आज दुनिया उसकी तारीफ में जुटी है. इलाके के लोग घर पर पहुंचकर बधाई दे रहे हैं. जिला गर्व कर रहा है कि उसके लाल ने ये बड़ी कामयाबी अपने नाम की है. हालांकि, उसका ये सफर आसान नहीं रहा. इस सफलता के पीछे उसकी कड़ी मेहनत शामिल है.
क्या हैं हिमांशु के ख्वाब?
हिमांशु का कहना है कि वो सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता है. अपनी शानदार कामयाबी पर हिमांशु कहते हैं, "मुझे उम्मीद थी कि टॉप 10 में मेरा स्थान आएगा लेकिन ये नहीं पता था कि बिहार में प्रथम स्थान आएगा. मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन कर देश की सेवा करना चाहता हूं.
कितने घंटे की पढ़ाई करते थे?
हिमांशु के घर में गरीबी डेरा डाले हुए थी, इसलिए उसे सब्जी बेचने में पिता का हाथ बंटाना पड़ता था, लेकिन जब पढ़ने की लगन हो तो वक्त खुद ब खुद निकल जाता है. काम के बोझ के बावजूद हिमांशु पढ़ाई के लिए 14 घंटे का वक्त निकालते थे. हिमांशु का साफ कहना है कि बेहतर कामयाबी के लिए ज्यादा से ज्यादा मेहनत करना बहुत जरूरी होता है.
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