Special Gulal From Dry Flower Technology: कुछ ही दिनों में होली आ जाएगी. इस मौक पर तमाम तरह के रंगों और गुलाल का इस्तेमाल किया जाता है. कई बार ये रंग त्वचा के लिए खासे हानिकारक साबित होते हैं. गुलाल से भी लोगों को तमाम तरह की हेल्थ प्रॉबलम्स हो जाती हैं. हालांकि बिहार और बनारस की यूनिवर्सिटी जिस तरह का गुलाल बना रही हैं, उसके बाद इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है. यहां खास तरह का गुलाल बनाया जा रहा है जो सूखे फूलों से तैयार होगा. इससे स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.


इस तकनीक का हो रहा है इस्तेमाल


ये खास गुलाल ड्राई फ्लावर टेक्नोलॉजी की मदद से बनाया जा रहा है. इसमें फूलों और पत्तियों को सुखाकर उनसे गुलाल और रंग बनाया जाएगा. ये स्किन के लिए सेफ होंगे. इतना ही नहीं महिलाओं को इसे बनाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी ताकि ये उनके लिए रोजगार का साधन बने.


कहां हुआ प्रयोग


बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के फ्लोरल डिपार्टमेंट के लैब में फूलों और पत्तियों को सुखाकर रंग व गुलाल बनाया जा रहा है. इसके अलावा बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी भी इस तकनीक के इस्तेमाल से ये खास बना रही है. यहां भी महिलाओं को ट्रेनिंग देने की योजना है. इस होली में थोड़ी मात्रा में ये गुलाल बनकर तैयार होगा.


सूखे फूलों का इस्तेमाल


जो फूल आमतौर पर इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं उनमें फंग्स लग जाती है और बदबू आने लगती है. कुछ दिनों बाद ये किसी काम के नहीं रहते. ये खास गुलाल बनाने के लिए इन्हीं फूलों और पत्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा. लैब में इन्हें डिहाइड्रेड करते हैं ताकि इनकी नमी निकल जाए. इसके इस्तेमाल से त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा.


मिलेगी पॉजिटिव एनर्जी!


इस बार गुलाल कम मात्रा में तैयार हो पा रहा है इसलिए इस साल से ये बाजार में उपलब्ध नहीं होगा. फिलहाल बीएचयू के कर्मचारियों को ये उपलब्ध कराया जाएगा और इसकी कीमत कम रखी जाएगी. बाजार में ये महंगा बिकेगा और अगले साल से इसकी खरीदारी की जा सकेगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके इस्तेमाल से पॉजिटिव एनर्जी मिलेगी. 


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