पिछले कुछ सालों के दौरान आपने सुना होगा कि एक ही झटके में कई मंजिला इमारत को ध्वस्त कर दिया गया. लेकिन जिस इमारत को बनाने में सालों का समय लग जाता है आखिर कैसे उसे कुछ ही देर में ढेर कर दिया जाता है. आज हम आपको बड़ी-बड़ी इमारतों को कुछ ही पलों में उड़ा देने वाले ब्लास्टर के बारे में बताएंगे. आइए जानते हैं ब्लास्टर बनने के लिए कौन सी पढ़ाई करनी होती है.


अगर एजुकेशन की भाषा में बात करें तो ब्लास्टर को एक्सप्लोसिव इंजीनियर कहा जाता है. जिनका कार्य माइनिंग से लेकर बड़े-बड़े निर्माणों के लिए विस्फोटकों की देखरेख करना होता है. साथ ही इनकी आवश्यकता खनिज उत्पादन, पहाड़ काटकर सीमेंट बनाने की प्रक्रिया, ग्रेनाइट पत्थर तोड़ने जैसे कार्यों में होता है. एक्सप्लोसिव इंजीनियर का कार्य बहुत ज्यादा खतरे से बड़ा होता है.


कर सकते हैं ये कोर्स


अगर आप भी  एक्सप्लोसिव इंजीनियर (ब्लास्टर) बनना चाहते हैं तो आप डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग, ब्लास्टर डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रोग्राम या फिर माइनिंग में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स कर सकते हैं. इन कोर्स को करने वाले उम्मीदवारों की उम्र 18 वर्ष से ज्यादा होनी चाहिए.


क्या होता है काम


एक्सप्लोसिव इंजीनियर को विस्फोट करने वाली मशीनों को सही जगह पर पहुंचाना होता है. इसके अलावा उन्हें इमारतों के अंदर और बाहर विस्फोटक चार्ज लगाने के लिए सुरक्षा पर नजर रखनी होती है. इसके अलावा तारों और डिवाइसों को आपस में जोड़ना होता है. तारों को बिछाना होता है. ब्लास्ट के बाद ब्लास्टिंग होल को भरना और टैंप करना भी एक्सप्लोसिव इंजीनियर का काम है.


कितनी मिलती है सैलरी


एक्सप्लोसिव इंजीनियर को शुरुआत में 30 हजार से लेकर 50 हजार तक की सैलरी मिलती है. जो कि अनुभव के आधार पर बढ़ती है. इसके साथ ही ब्लास्टर को तमाम अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं.  


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