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बच्चे के लिए प्री-स्कूल चुनने जा रहे हैं तो ये चेक लिस्ट कर लें तैयार, पढ़ाई से लेकर सेफ्टी तक एक भी पहलू न हो नजरअंदाज

Preschool Selection: पहली बार बच्चे को स्कूल में दाखिल करा रहे हैं तो कुछ बातों पर गौर फरमा लें. जब इन सभी प्वॉइंट्स पर सैटिस्फाई हो जाएं, उसके बाद ही बच्चे का एडमिशन कराएं.

How To Select Perfect Preschool: प्री-स्कूल का सेलेक्शन आसान नहीं होता. बच्चा पहली बार अपने घर से, पैरेंट्स की सुरक्षा से दूर जाता है. नई जगह पर एडस्ट होना जितना मुश्किल उसके लिए होता है, उससे भी ज्यादा कठिन पैरेंट्स के लिए होता है. स्कूल सही है, टीचर्स ठीक हैं, बच्चा सेफ तो रहेगा? ये और न जाने ऐसे कितने सवाल माता-पिता के मन में आते हैं. आज इसी बारे में चर्चा करते हैं कि बच्चे के लिए प्री-स्कूल सेलेक्ट करते वक्त किन प्वॉइंट्स पर जरूर विचार कर लें.

घर से दूरी

बच्चे का एडमिशन कराने की बात आए तो कोशिश करें कि स्कूल घर से बहुत दूर न हो.  भले थोड़े कम अच्छे या बड़े स्कूल में उसे भर्ती कराना पड़े पर ऐसी जगह न तलाशें जहां से आने-जाने में ही बच्चे को घंटों लगे. पहली बार में उसे इस तरह का स्ट्रेस देना ठीक नहीं है.

फैकल्टी और सपोर्टिंग स्टाफ

इस समय पर बच्चों की जरूरतें अलग होती हैं जो पढ़ाई कतई नहीं है. वे खेल-खेल में नई चीजें सीखें, घर से दूर रहकर कुछ हद तक इंडिपेंडेंट होना सीखें और दोस्तों के साथ तालमेल बैठाना सीखें. प्री स्कूल की जरूरतें अलग होती हैं. देख लें कि वहां पर जो टीचर्स हैं, वे कितने अनुभवी हैं, कितने साल से हैं और उनका पेशेंस लेवल दूसरे बच्चों के साथ कैसा है.

इसके साथ ही सपोर्टिंग स्टाफ के बारे में भी पता करें. स्टाफ-चाइल्ड रेशियो कितना है, ये जरूर देखें वर्ना बच्चे कभी गीले होकर बैठे हैं, तो कभी रोते रहते हैं और उन्हें संभालने के लिए कोई नहीं होता.

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इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है

इस एज में बच्चों को खेलने के लिए ज्यादा से ज्यादा जगह और ऑप्शन मिले और एक्टिविटीज के लिए अधिक से अधिक मौका मिले, ये जरूरी है. इस लिहाज से स्कूल को देखें. वहां कौन-कौन से गेम हैं, सफाई किस लेवल की रहती है, प्लेग्राउंड से लेकर लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब तक कैसा है, ये सब पता करें.

सर्टिफिकेशन देख लें

स्कूल मान्यता प्राप्त है या नहीं, ये भी पता कर लें. जिस भी बोर्ड से स्कूल का एफिलिएशन हो पर होना चाहिए. वे जिन चीजों का दावा कर रहे हैं, उसके मानक भी पूर कर रहे हैं या नहीं, ये पता करें. एक तरीका ये भी है कि आप उनकी वेबसाइट विजिट करें और देखें कि जो जानकारी वहां दी है, वो सही है या गलत.

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सेफ्टी बहुत जरूरी है

पहली बार बच्चे को खुद से दूर कई घंटों के लिए छोड़ना आसान नहीं होता. वहां की सेफ्टी के बारे में पूरी पड़ताल कर लें. छोटी क्लासेज में सामान्य तौर पर मेल स्टाफ कहीं नहीं होता (सिक्योरिटी को छोड़कर), देख लें कि आपके बच्चे के स्कूल में मेल स्टाफ का एक्सेस कहां तक है. वहां सीसटीवी लगे हैं या नहीं और वे काम करते हैं या नहीं. इमरजेंसी को लेकर (मेडिकल की भी) स्कूल की क्या तैयारी है, ये भी देख लें.

पुराने पैरेंट्स से बात करें

किसी स्कूल के बारे में जानने का बेस्ट तरीका है कि वहां जो बच्चे पहले से पढ़ रहे हैं, उनके पैरेंट्स से बात करें. एडमिशन से लेकर फीस तक का प्रोसेस कितना ट्रांसपेरेंट है ये पता करें. हो सके तो कुछ दिन बच्चे को ट्रायल क्लास दिलाएं और खुद भी बाहर से उसे देखते रहें कि वे कैसे पढ़ाते हैं और बाकी स्टाफ किस तरह बिहेव करता है. स्कूल रेप्यूटेटेड हो ये भी जरूरी है. 

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