हर साल लाखों की संख्या में अभ्यर्थी यूपीएससी यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा की तैयारी करते हैं. लेकिन उनमें से कुछ ही परीक्षा को पास कर पाते हैं. जो अभ्यर्थी यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) को पास करते हैं, वे ही आगे चलके आईएएस यानी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर बनते है. आईएएस बनने के लिए अभ्यर्थी को काफी कठिन प्रशिक्षण से गुजरना होता है, जिसके लिए उन्हें ट्रेनिंग (Training) लेनी होती है जिसमें उन्हें विभिन्न चीज़े सिखाई जाती हैं.
आईएएस (IAS) की ट्रेनिंग लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ फाउंडेशन, मसूरी के फाउंडेशन कोर्स से होती है. यहां पर आईएएस के अलावा आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस के पद के लिए सिलेक्टेड कैंडिडेट्स होते है. इस कोर्स में इस सभी को बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल्स सिखाए जाते है जिसकी जानकारी होना हर सिविल सेवा अधिकारी के लिए आवश्यक होता है.इस एकेडमी में पहुंचने के बाद चयनित कैंडिडेट्स को आदर्श वाक्य से रूबरू कराया जाता है.
साथ ही एकेडमी में विशेष एक्टिविटीज कराई जाती है, जिसके द्वारा कैंडिडेट्स को मेंटली और फिजिकल तौर पर मजबूत किया जाता है. साथ ही इंडिया डे का आयोजन किया जाता है, जिसमें सब अपने अपने राज्य की संस्कृति का प्रदर्शन पहनावे, लोक गीत, लोक नृत्य या फिर खाने के जरिए करते है. इसके जरिए वे भारत की विविधता में एकता दिखाते है. सिविल सेवा अधिकारियों को 7 दिन की गांव की विजिट पर लेकर जाया जाता है जहां पर वे 7 दिन किसी गांव में गुजारते है. इससे वे लोगो से उनके अनुभव व उनकी समस्याओं के बारे में जानते और समझते हैं.
तीन महीने के फाउंडेशन ट्रेनिंग के बाद सभी कैंडिडेट्स अपनी अपनी एकेडमी में चले जाते है और सिर्फ आईएएस के कैंडिडेट्स ही लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में रहते है. अब आईएएस अधिकारियों की प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू हो जाती है.अब उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन और गवर्नेंस के विभिन्न सेक्टरों की बारे में जानकारी दी जाती है. प्रोफेशनल ट्रेनिंग के दौरान अधिकारियों को एजुकेशन, हेल्थ, एनर्जी, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, रूरल डेवलपमेंट, सोशल सेक्टर, डेवलपमेंट आदि सेक्टर्स पर देश के जाने माने एक्सपर्ट और सीनियर ब्यूरोक्रेट उनकी क्लास लेने आते है. इस दौरान अधिकारियों को जिस जगह अलॉट किया जाता है. इस राज्य की स्थानीय भाषा सिखाई जाती है, क्योंकि अधिकारी के पास काफी स्थानीय लोग अपनी परेशानियों को लेकर के आते है, उन्हें समझने के लिए अधिकारी को स्थानीय भाषा की जानकारी होती बेहद आवश्यक है. इसी के साथ देश की विविधता को समझने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग के दौरान विंटर स्टडी टूर पर लेकर जाया जाता है जिसे भारत दर्शन भी कहा जाता है. प्रोफेशनल ट्रेनिंग के बाद उनकी परीक्षा ली जाती है.
एक वर्ष की एकेडमिक ट्रेनिंग और फील्ड ट्रेनिंग के बाद जेएनयू से इनको पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर्स की डिग्री दी जाती है. इसके बाद आईएएस अधिकारी एक साल की ऑन जॉब प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए जाते है. जहां स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव एकेडमी में राज्य के कानून, लैंड मैनेजमेंट आदि की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके बाद ट्रेनी को एक साल की ऑन जॉब की ट्रेनिंग के लिए किसी जिले में असिस्टेंट कलेक्टर और एक्सिक्यूटिव मजिस्ट्रेट के रूप में भेज दिया जाता है. यह एक वर्ष की ट्रेनिंग होती है जिसमे वे फील्ड की बारीकियों को सीखते है.
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