ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर मामले के सामने आने के बाद से सिविल सर्विसेज में विकलांगता कोटा पर सवाल उठने लगे हैं. इस बहस के बीच तेलंगाना की आईएएस ऑफिसर स्मिता सभरवाल की एक पोस्ट ने नई बहस छेड़ दी है. उन्होंने सीधे सिविल सर्विसेज में विकलांगता कोटा देने की बात पर ही सवाल उठाया है. उनका मानना है कि ऐसी सेवाओं में डिसएबिलिटी कोटा नहीं होना चाहिए. इसके बाद कई लोग उनके पक्ष में खड़े हुए हैं तो कइयों ने उनके खिलाफ आवाज बुलंद कर दी है.


क्या है पूजा खेडकर मामला


आगे बढ़ने से पहले संक्षेप में जान लेते हैं कि पूजा खेडकर मामला है क्या. दरअसल महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर पर विकलांगता कोटे का गलत फायदा उठाने और फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर पद पाने का आरोप है. जहां यूपीएससी ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, वहीं लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी ने उन्हें ट्रेनिंग के बीच में ही हटा दिया है.


पूजा पर ओबीसी कैटेगरी का गलत फायदा उठाने और दिव्यांगता कैटेगरी के तहत पद पाने का आरोप है जबकि कई बार बुलाने के बाद भी वे मेडिकल टेस्ट के लिए उपस्थित नहीं हुई हैं. वे ऑडी में लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का स्टिकर लगाकर घूमने से विवाद में आयी थी.


क्या है आईएएस स्मिता का पोस्ट


इस मामले को उठे कुछ समय बीत चुका है और हाल ही में तेलंगाना की आईएएस ऑफिसर स्मिता सभरवाल ने एक पोस्ट की जिसमें कहा कि सिविल सर्विसेज जैसी सेवाओं में विकलांगता कोटा नहीं होना चाहिए. एक प्रशासनिक ऑफिसर को जीतोड़ मेहनत वाला काम करना होता है, घंटों खड़े रहना पड़ता है और जनता से सीधा संवाद करना पड़ता है, ऐसे में कैंडिडेट का फिजिकल फिट रहना जरूरी है.


ऐसे कैंडिडेट्स को उनकी क्षमताओं के मुताबिक दूसरी प्रशासनिक और सम्मानित सेवाओं में स्थान मिलना चाहिए लेकिन सिविल सर्विसेज में ये कोटा ठीक नहीं है. उन्होंने उदाहरण भी दिया कि क्या कोई विकलांग पायलट से प्लेन उड़वाता है या कोई पीएच सर्जन से सर्जरी करवाएगा. इस लिहाज से सिविल सेवाओं को भी देखना चाहिए. उनके इस पोस्ट के बाद बहुत सारे लोग उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं और ये बहस गरमा गई है.


क्या है नियम


इस मामले के बाद से ये सवाल जोरदारी से उठ रहा है कि क्या सिविल सेवा में विकलांगता कोटा होना चाहिए. पूजा को 7 परसेंट विकलांगता का सर्टिफिकेट मिला है जबकि नियम ये है कि कम से कम 40 परसेंट विकलांग होने पर ही किसी को इस कोटे का लाभ मिलता है. यूपीएससी अपनी रिक्तियों का चार प्रतिशत विकलांग कैंडिडेट्स के लिए रिजर्व रखता है. ये आरक्षण नीति के तहत आता है जो दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 और दिव्यांगजन व्यक्तियों के लिए आरक्षण पर इंडियन गवर्नमेंट के आदेश के मुताबिक है.


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