Success Story Of IAS Topper Harpreet Singh: आज आपको यूपीएससी परीक्षा 2018 में 19वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस अफसर बनने वाले हरप्रीत सिंह की कहानी बताएंगे, जिन्होंने पांचवें प्रयास में इस मुकाम को हासिल किया. खास बात यह रही कि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए कभी भी नौकरी नहीं छोड़ी और सफलता प्राप्त करके यह साबित किया कि नौकरी के साथ ही यह परीक्षा पास की जा सकती है. आज वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. उनका यूपीएससी का सफर थोड़ा लंबा रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने कई चीजें सीखीं, जो सफलता के लिए जरूरी होती हैं.


ऐसे शुरू हुआ सफर


ग्रेजुएशन करने के बाद हरप्रीत सिंह अपने दोस्त के साथ यूपीएससी की तैयारी के लिए चंडीगढ़ चले गए. वहां उन्होंने कोचिंग ज्वाइन कर ली और तैयारी करने लगे. इसी बीच एक प्राइवेट कंपनी ने उन्हें अच्छी जॉब का ऑफर दिया और उन्होंने नौकरी ज्वाइन कर ली. अब हरप्रीत नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. सन 2013 में उन्होंने पहला प्रयास किया, तो वह मेंस परीक्षा पास नहीं कर पाए. हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार तैयारी करते रहे.


ऐसा रहा यूपीएससी का सफर


पहले प्रयास में असफलता मिलने के बाद उन्होंने दूसरा प्रयास किया जिसमें वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए, लेकिन फाइनल लिस्ट में उनका नंबर नहीं आया. उन्होंने तीसरा प्रयास किया, जिसमें वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंचकर बाहर हो गए. तीन बार असफलता मिलने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. इसी बीच उन्होंने सीएपीएफ का एग्जाम दिया और उनको बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट की नौकरी मिल गई. हरप्रीत ने बीएसएफ की नौकरी ज्वाइन कर ली और तैयारी करते रहे.


यूपीएससी में जब उन्होंने चौथी बार प्रयास किया तो उन्हें सफलता मिली, लेकिन रैंक अच्छी नहीं आई. उन्हें ट्रेड सर्विस मिली, जिसे उन्होंने ज्वाइन कर लिया. अभी उनके दिमाग में आईएएस अफसर बनने का ख्याल था. ऐसे में उन्होंने नौकरी के साथ पांचवा प्रयास किया और 19वीं रैंक प्राप्त कर अपना सपना पूरा कर लिया.


यहां देखें हरप्रीत का दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू


 


दूसरे कैंडिडेट्स को हरप्रीत की सलाह


यूपीएससी की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को हरप्रीत लगातार मेहनत करने की सलाह देते हैं. वे कहते हैं इस परीक्षा में पास होने के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस होना बेहद जरूरी है. उनके मुताबिक कई बार फैमिली वाले दूसरी नौकरी करने का प्रेशर डालते हैं. असफल होने पर कैंडिडेट्स को भी लगता है कि उन्हें दूसरी नौकरी कर लेनी चाहिए या वे पीछे रह गए और उनके साथ के लोग सेटल हो गए. इस तरह के ख्याल दिमाग में नहीं लाने चाहिए और अपने लक्ष्य पर फोकस होना चाहिए. लगातार मेहनत से सफलता जरूरी मिलती है.


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