IAS Success Story: IAS बनने के जुनून के चलते ममता ने दो बार क्रैक की UPSC परीक्षा, इतने घंटे की पढ़ाई
UPSC Success Story: आईएएस ममता ने यूपीएससी परीक्षा को क्लियर करने के लिए हर दिन 10 से 12 घंटे पढ़ाई की. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है.
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IAS Success Story: हर मेधावी छात्र की तमन्ना होती है कि वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस या आईपीएस बने. लेकिन ऐसा बहुत कम लोगों के साथ होता है कि वह इस परीक्षा को पास कर सकें. सिविल सेवा परीक्षा 2020 की परीक्षा में हरियाणा की रहने वाली 24 साल की ममता यादव सफलता हासिल कर आईएएस बानी थीं. इस परीक्षा में उन्होंने ऑल इंडिया में पांचवी रैंक हासिल की थी.
ममता यादव लगातार चार साल से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करती रहीं तब कहीं जाकर उन्हें सफलता मिली. 2019 में ममता यादव को 556 वीं रैंक हासिल हुई थी. लेकिन इस रैंक से वह आईएएस नहीं बन सकती थी. जबकि उनका सपना सिर्फ और सिर्फ आईएएस बनने का ही था.परिवार के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया और खासकर माता-पिता ने.ममता फिर से आईएएस बनने की कोशिश में लग गई इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत भी की. सन 2019 में फिर सिविल सेवा परीक्षा पास की.उन्होंने भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा के लिए ट्रेनिंग भी शुरू की लेकिन इससे वह संतुष्ट नहीं थी.उन्होंने फिर एक बार कोशिश की और इस बार वह पांचवी रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी बनने में सफल हुई.
हरियाणा के गांव बसई की निवासी ममता यादव के पिता अशोक यादव एक निजी कंपनी में काम करते हैं.उनकी मां सरोज देवी ग्रहणी हैं. कक्षा 12 तक की पढ़ाई उन्होंने बलवंत राय मेहता स्कूल ग्रेटर कैलाश दिल्ली से पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया.
हर दिन 10 से 12 घंटे की पढ़ाई
ममता कक्षा 12 की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गई. ममता ने कोचिंग के साथ सेल्फ स्टडी की.परीक्षा पास करने के लिए उन्होंने एनसीईआरटी और अन्य पुस्तकों की सहायता ली. ममता कहती है कि पहले वह रोजाना सिर्फ 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थी.लेकिन इतनी पढ़ाई से उन्हें लगा कि वह अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगी तो उन्होंने रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई शुरू की. ममता के पिता बेटी की सफलता का श्रेय अपनी बेटी और उनकी मां को देते हैं.उनका कहना है कि उनकी बेटी ने गांव की पहली आईएएस अधिकारी बनकर उनका सिर गर्व से ऊंचा किया है.
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