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UPSC एग्जाम क्लियर करने के बाद भी IAS बनना नहीं है आसान, ऑफिसर बनने के लिए करनी पड़ती है खास ट्रेनिंग

IAS Training: यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद भी आईएस बनने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. काफी लंबी ट्रेनिंग के बाद ये पद संभालने को मिलता है.

IAS Training Stages: यूपीएससी की परीक्षा को पास करने वाले और एक खास रैंक पाने वाले कैंडिडेट्स को आईएएस कैडर मिलता है. हालांकि इन कैंडिडेट्स का संघर्ष यहीं खत्म नहीं हो जाता. इसके बाद इन्हें एक लंबी ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है जिसे सफलतापूर्वक पास करने के बाद ही इनकी नियुक्ति होती है. ये एक प्रकार से सामान्य कैंडिडेट को आईएएस जैसा पद संभालने के लिए तैयार करने के लिए दी जाने वाली ट्रेनिंग है ताकि वे अपना काम ठीक से कर सकें. जानते हैं किन स्टेजेस से गुजरने के बाद ये ट्रेनिंग पूरी होती है.

ऐसे होती है शुरुआत

आईएएस की ट्रेनिंग की शुरुआत मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (जिसे लबासना कहते हैं) में फाउंडेशन कोर्स से होती है. इसमें आईएएस पद के लिए सेलेक्टेड कैंडिडेट्स के अलावा आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस के लिए चुने गए कैंडिडेट्स भी शामिल होते हैं. इस कोर्स में बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल सिखाए जाते हैं.

बहुत सी एक्टिविटी कराईजाती हैं

एकेडमी में कई तरह की एक्टिविटीज होती हैं जिनसे कैंडिडेट को फिजिकली और मेंटली मजबूत बनाया जाता है. इन्हीं में से एक है हिमालय की ट्रैकिंग. इसके अलावा यहां इंडिया डे भी मनाया जाता है. इसमें कैंडिडेट्स को अपने-अपने राज्य की संस्कृति का प्रदर्शन करना होता है. इसमें सिविल सेवा अधिकारी पहनावे, लोक नृत्य या फिर खाने के जरिए देश की 'विविधता में एकता' दिखाते हैं.

गांव में रहकर करनी होती है सात दिन की ट्रेनिंग

सिविल सेवा अधिकारियों को गांवों का दौरा कराया जाता है. यहां उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाती है. इस ट्रेनिंग के लिए इन अधिकारियों को देश के किसी सुदूर गांव में जाकर 7 दिन के लिए रहना होता है. यहां रहकर वे गांव के लोगों, उनके जीवन और उनकी समस्याओं से रूबरू होते हैं. वे अपने अनुभव साझा करते हैं जिससे अधिकारियों को उनकी वास्तविक चुनौतियों को समझने का मौका मिलता है.

फाउंडेशन के बाद शुरू होती है प्रोफेशनल ट्रेनिंग

तीन महीने की फाउंडेशन ट्रेनिंग के बाद सभी अपनी-अपनी एकेडमी में चले जाते हैं. केवल आईएएएस ट्रेनी ही लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (लबासना) में रह जाते हैं. इसके बाद इनकी प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू हो जाती है. इस दौरान इन्हें एडमिस्ट्रेशन व गवर्नेंस के हर सेक्टर की अलग-अलग जानकारी दी जाती है.

इन क्षेत्रों का ज्ञान दिया जाता है

प्रोफेशनल ट्रेनिंग के दौरान एजुकेशन, हेल्थ, एनर्जी, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, रूरल डेवलपमेंट, पंचायती राज, अर्बन डिवेलपमेंट, सोशल सेक्टर, वन, कानून-व्यवस्था, महिला एवं बाल विकास, ट्राइबल डिवेलपमेंट जैसे सेक्टर्स पर देश के जाने-माने एक्सपर्ट और सीनियर ब्यूरोक्रेट क्लास लेने आते हैं.

लोकल लैंग्वेज सीखनी होती है

इसके बाद उन्हें जो राज्य दिया जाता है वहां की स्थानीय भाषा सिखायी जाती है ताकि जब लोकल लोग समस्याएं लेकर आएं तो उनका निदान वे कर सकें.

इतना ही नहीं प्रोफेशनल ट्रेनिंग के दौरान विंटर स्टडी टूर होता है, जो 'भारत दर्शन' के नाम से मशहूर है. इस दौरान उन्हें भारत की विविधता को समझने का मौका मिलता है. प्रोफेशनल ट्रेनिंग के बाद परीक्षा होती है.

अंत में होती है ऑन जॉब प्रैक्टिकल ट्रैनिंग

एक साल की एकेडमिक ट्रेनिंग और फिर फील्ड ट्रेनिंग के बाद जेएनयू की तरफ से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर्स की डिग्री दी जाती है. एकेडमिक ट्रेनिंग के बाद आईएएस अधिकारी एक साल की ऑन जॉब प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए अपने कैडर के राज्य जाते हैं, जहां स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव एकेडमी में राज्य के कानूनों, लैंड मैनेजमेंट वगैरह की ट्रेनिंग दी जाती है.

इसके बाद हर ट्रेनी आईएएस को ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए किसी एक जिले में असिस्टेंट कलेक्टर और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के रूप में भेजा दिया जाता है, जहां एक साल की ट्रेनिंग होती है.

यह भी पढ़ें: CLAT 2023 के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का अंतिम दिन आज 

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