इंजीनियरिंग छात्रों में देखा जा रहा है नया ट्रेंड, 60 प्रतिशत से ज्यादा ने दूसरी इंजीनियरिंग ब्रांच में चुनी नौकरी
IIT Bombay: आईआईटी बॉम्बे के पिछले सालों के प्लेसमेंट में ये बात देखने को मिली की 60 प्रतिशत से अधिक इंजीनियरिंग छात्रों ने अपनी ब्रांच की नौकरी न चुनकर दूसरी ब्रांच को तवज्जो दी.
IIT Bombay Placements: आईआईटी बॉम्बे के पिछले सालों के प्लेसमेंट पर नजर डालें तो एक आंकड़ा निकलकर आता है. इसके मुताबिक यहां के 60 प्रतिशत से ज्यादा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स ने पिछले कई सालों में अपनी फील्ड छोड़कर दूसरी फील्ड में जॉब चुनी. यानी उन्होंने नौकरी सेलेक्ट करते वक्त इस बात को तवज्जो नहीं दी कि उन्होंने किस ब्रांच से पढ़ाई की है बल्कि दूसरी इंजीनियरिंग ब्रांच की नौकरियां पकड़ीं. ये ट्रेंड इंजीनियरिंग की सभी ब्रांचेस केवल कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को छोड़कर, देखने को मिला.
इन सालों में हुआ ऐसा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से 2018 के बीच आईआईटी बॉम्बे के 60 प्रतिशत से ज्यादा ग्रेजुएट्स ने अपनी फील्ड छोड़कर दूसरी इंजनीयरिंग फील्ड में नौकरी ज्वॉइन की.
इसके पीछे वजह की अगर बात करें तो कई कारण हैं जिनके आधार पर स्टूडेंट्स ऐसा करते हैं. इनमें से एक है जल्दी से जल्दी प्लेसमेंट पाने की चाह. कई बार छात्र अपनी कोर कंपनी में प्लेसमेंट का इंतजार कर रहे होते हैं फिर उन्हें ये लगता है कि कहीं वे प्लेसमेंट में रह न जाएं तो जिस भी कंपनी का ऑफर उन्हें अच्छा लगता है, वे उसे स्वीकार कर लेते हैं.
उठा ये सवाल
ये आंकड़े सामने आने से ये सवाल भी उठ रहा है कि जब छात्र अपनी कोर कंपीटेंसी वाली फील्ड में नौकरी चुनते ही नहीं हैं तो उनकी ट्रेनिंग पर इतना पैसा खर्च करने से क्या फायदा. जैसे केमिकल इंडस्ट्री में मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स हायर किए जाते हैं. हालांकि वे इस फील्ड में काम कर सकते हैं लेकिन उसके लिए संबंधित एरिया की नॉलेज होना जरूरी होता है.
इस आधार पर सामने आये आंकड़े
ये आंकड़े पिछले पांच साल के डेटा पर आधारित हैं. इसके अंतर्गत कुल 2019 स्टूडेंट्स का डेटा इकट्ठा किया गया. इनमें से 269 छात्रों के रिस्पांस के आधार पर ये रिजल्ट सामने आया कि उन्होंने अपनी फील्ड की जॉब नहीं चुनी.
स्टडी में ये भी पता चला है कि केवल कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग वे ब्रांच हैं जिनमें 82 प्रतिशत से अधिक छात्रों ने अपनी कोर कंपीटेंसी वाली नौकरी ही चुनी. जबकि लगभग सभी और ब्रांचेस में छात्रों ने दूसरी फील्ड की जॉब चुन ली.
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