How an IAS is appointed: भारत (India) के शासन और प्रशासन तंत्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Services) एक रीढ़ का काम करती हैं. इसी की वजह से भारत जैसे विशाल देश का संघीय ढांचा अब तक सुचारू रूप से काम कर रहा है. आइए जानते हैं प्रशासनिक सेवा में आईएएस अधिकारी की नियुक्ति कैसे होती है. हर कोई जानना चाहता है एक यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद हमारी नौकरी कहां लगेगी. अक्सर हम यह भी देखते हैं कि केंद्रीय अधिकारियों की नियुक्ति केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद का कारण बना रहता है. आइए आज इसके बारे में जानते हैं.


नियुक्ति से लेकर ट्रांसफर कैसे होता है
भर्ती किए जाने वाले अधिकारियों की संख्या निर्धारित करना, भर्ती, नियुक्ति, कैडर आवंटन, ट्रेनिंग, ट्रांसफर-पोस्टिंग, पैनल में रखना और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति, सेवा विस्तार और अनुशासनात्मक कार्यवाही पर फैसलों का अधिकार केंद्र और राज्य के पास है. कम से कम आठ मानकों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारियों पर केंद्र को ज्यादा अधिकार प्राप्त हैं. चयनित अधिकारियों को बाद में केंद्र द्वारा उनका स्टेट कैडर दिया जाता है. यद्यपि केंद्र इस पर फैसला राज्यों की जरूरत, अधिकारियों की वरीयता, परीक्षा में उनकी रैंक आदि को ध्यान में रखते हुए करता है, लेकिन कोई भी अंतिम निर्णय केंद्र सरकार पर निर्भर करता है.


कैसे चुनें जाते हैं अधिकारी यहां देखें
अधिकारियों की भर्ती और ट्रेनिंग के बाद, उन्हें उनके स्टेट कैडर में भेज दिया जाता है. हालांकि, मौजूदा सरकार ने नए भर्ती अधिकारियों को राज्यों में भेजे जाने से पहले भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में सहायक सचिवों के रूप में नियुक्त करने की परंपरा शुरू की है, राज्य स्तर पर एआईएस अधिकारियों का कैरियर वास्तव में जिला स्तर पर नियुक्ति के साथ शुरू होता है. राज्यों को इस बात का पूरा अधिकार मिलता है कि किसे किस जिले में पद दिया जाए, किसे राज्य सचिवालय में पदस्थापित किया जाए, किसे ट्रांसफर किया जाए, किसे महत्वपूर्ण पोस्टिंग दी जाए और किसे महत्वहीन पदों पर बैठाया जाए. यहां पर राज्यों के पास किसी भी अधिकारी पर विशेष अधिकार हासिल होते हैं.


केंद्र राज्य सरकार को यह कभी नहीं बता सकता कि राज्य स्तर पर किस अधिकारी को कहां पोस्ट करना है. यह शत-प्रतिशत राज्यों पर निर्भर करता है. लेकिन नियम में यह कहा गया है कि असहमति होने की स्थिति में यह मामला केंद्र सरकार और राज्य सरकार या संबंधित सरकारें केद्र सरकार के निर्णय को प्रभावशील करेंगी. 


 


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