देशभर से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए विदेश का रुख करते हैं. जिन देशों में छात्र पढ़ाई के लिए जाते हैं उनमें से एक ब्रिटेन भी है. लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट आई है. खासकर मास्टर डिग्री प्रोग्राम में एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में मास्टर डिग्री के लिए भारतीय आवेदकों की संख्या में करीब 21,000 स्टूडेंट्स की कमी आई है.


स्टूडेंट्स की संख्या में गिरावट की एक बड़ी वजह छात्रों पर अपने परिवार के आश्रितों, जीवनसाथी या बच्चों को लाने के लिए वीजा प्रतिबंध के बाद देखी जा रही है. न्यू इंडिया यंग प्रोफेशनल स्कीम के तहत सालाना 3,000 वीजा का कोटा है. इस साल मार्च तक भारतीय नागरिकों को 2,105 वीजा दिए गए.


रिपोर्ट की मानें तो ब्रिटेन में वीजा प्रतिबंधों के कारण भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आई है. सरकार ग्रेजुएट वीजा पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, जिसका विश्वविद्यालय विरोध कर रहे हैं. मार्च 2024 तक 64,372 भारतीय छात्रों को ग्रेजुएट वीजा मिला था. 2023 में ढाई लाख भारतीय ब्रिटेन गए, जबकि कुल 10 लाख अप्रवासी आए थे.


संस्थनों के लिए चिंता का सबब


ये काफी हैरानी वाली बात है साथ ही उन संस्थनों के लिए चिंता का सबब है जो विदेशी छात्रों से मिलने वाली फीस पर निर्भर हैं. रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2024 तक जारी किए गए छात्र वीजा में भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट आई है. 1,16,455 जारी वीजा में से 26% भारतीय छात्रों के हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21,717 कम है. ब्रिटेन जाने वाले अधिकांश भारतीय छात्र मास्टर डिग्री करने जाते हैं. ब्रिटेन में दुनियाभर के सबसे मशहूर विश्वविद्यालय हैं. जहां पढ़ाई करने का सपना हर दूसरे छात्र का होता है. इन संस्थानों में ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और इंपीरियल कॉलेज लंदन आदि शामिल हैं. जहां से दुनियाभर के प्रभावशाली लोग पढ़ चुके हैं.


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