Study In UK: ब्रिटेन एक वक्त अपनी क्वॉलिटी एजुकेशन के लिए दुनियाभर में जाना जाता था. आज भी यहां दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज मौजूद हैं. मगर अब छात्रों का ब्रिटेन से मोहभंग होना शुरू हो गया है. हाल के आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में हायर एजुकेशन के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 2022-23 में 139,914 से घटकर 2023-24 में 111,329 हो गई है. इस गिरावट के कई कारण हैं, जिनमें जॉब की सीमित संभावनाएं, हाल ही में कुछ शहरों में दंगों के बाद सुरक्षा चिंताएं आदि शामिल हैं. आइए जानते हैं रिपोर्ट के अनुसार क्या है वास्तविक स्थिति.
कतरा रहे भारतीय छात्र
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय छात्र ब्रिटेन के शैक्षणिक संस्थानों में आवेदन करने से कतरा रहे हैं. यहां के संस्थान पहले से ही नकारात्मक आर्थिक स्थितियों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट ने संस्थानों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं. यह रिपोर्ट छात्र कार्यालय (ओएफएस) से जारी की गई है, जो यूके गृह कार्यालय के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है. इसके अनुसार, भारतीय छात्रों की संख्या में 20.4 प्रतिशत की गिरावट आई है. आंकड़ों में यह संख्या 139,914 से घटकर 111,329 हो गई है.
ये हैं प्रमुख कारण
जॉब की सीमित संभावनाएं
ब्रिटेन में भारतीय छात्रों ने बताया है कि जॉब पाने की संभावनाएं सीमित हैं, जिससे वे हायर एजुकेशन के लिए आवेदन करने से हिचकिचा रहे हैं.
सुरक्षा चिंताएं
हाल ही में हुए दंगों ने छात्रों को सुरक्षा संबंधी चिंताओं का सामना करने पर मजबूर किया है. इससे उनके मन में यह सवाल उठता है कि क्या वे एक सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई कर सकते हैं.
वीजा नीतियों में बदलाव
ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों ने भी छात्रों को प्रभावित किया है. जैसे कि आश्रितों को लाने पर प्रतिबंध और पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा के बारे में भ्रम ने स्थिति को और जटिल बना दिया है.
आर्थिक दबाव
ब्रिटेन के विश्वविद्यालय पहले से ही वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं और भारतीय छात्रों पर उनकी निर्भरता अधिक होने के कारण यह गिरावट उनके लिए और भी गंभीर समस्या बन गई है.
आईएनएसए यूके के अध्यक्ष अमित तिवारी का कहना है कि इस गिरावट का सीधा असर विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा, क्योंकि वे भारत से आने वाले छात्रों पर बहुत अधिक निर्भर हैं. वहीं, नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एलुमनाई यूनियन (यूके की अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने कहा है कि कई कारण संख्या में गिरावट में योगदान करते हैं, जिसमें आश्रितों पर कंजर्वेटिव प्रतिबंध, वर्क वीजा, सैलरी स्ट्रक्चर आदि।
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