विदेश में नौकरी करने का सपना कौन नहीं देखता. भारत के ज्यादातर आईटी प्रोफेशनल्स का ख्वाब होता है कि वह विदेश में जाकर अच्छे पैसे पर नौकरी करें. हालांकि कई बार वर्क वीजा मिलना इतना आसान नहीं होता. लेकिन भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए अब एक बड़ी खुशखबरी आई है. दरअसल, जर्मनी को भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की बहुत ज्यादा जरूरत है और इस वजह से वहां की सरकार वीजा प्रोसेस को आसान बना रही है. यह बात खुद जर्मनी के चांसलर ने कही है.


क्या कहा है जर्मनी के चांसलर ने


जर्मनी के चांसलर Olaf Scholz ने हाल ही में कहा कि जर्मनी का आईटी सेक्टर अच्छे स्किल्ड वर्किंग माइंस की कमी से जूझ रहा है और इसलिए उन्हें बेहतरीन आईटी वर्कर्स चाहिए. इसी साल जब जर्मनी के चांसलर भारत के दौरे पर थे तो उन्होंने बेंगलुरु में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह जर्मनी के कानूनी ढांचे में ऐसा सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को आसानी से वर्क वीजा मिल सके.


क्या जर्मन भाषा आना अनिवार्य है


अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या जर्मनी में काम करने के लिए आपको जर्मन आना अनिवार्य है. इस पर जर्मनी के चांसलर का कहना है कि भाषा से कोई समस्या नहीं है, ज्यादातर लोग जो जर्मनी काम करने आते हैं... वह अंग्रेजी ही बोलते हैं. लेकिन धीरे-धीरे यहां रहते हुए वह जर्मन भाषा को अपना लेते हैं. इसलिए जो भी आईटी प्रोफेशनल्स यह सोच रहे हैं कि उन्हें जर्मन भाषा नहीं आती, इसलिए वह जर्मनी जाकर काम नहीं कर सकते तो उनकी यह शंका भी अब दूर हो गई है.


जर्मनी में मिलती है भारत से ज्यादा सैलरी


भारत के आईआईटी से पड़ने वाले ज्यादातर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का ख्वाब होता है कि वह किसी यूरोपीय देश में जाकर नौकरी करें. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह होती है वहां की कंपनियों द्वारा यहां के छात्रों को दिया जाने वाला पैकेज. जब कोई जर्मनी की कंपनी किसी भारतीय आईटी प्रोफेशनल को हायर करती है तो वह भारतीय कंपनी के मुकाबले कई गुना ज्यादा सैलरी देती हैं. इसके साथ ही भारत में रहने वाले ज्यादातर लोगों की मानसिकता है कि अगर वह विदेश में जाकर नौकरी करते हैं तो उनके रिश्तेदारों और समाज में उन्हें ज्यादा इज्जत मिलेगी.


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