नई दिल्ली: भारतीय से बाहर के देशों की सांस्कृतिक विरासत पर अध्ययन के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एक नई चेयर की स्थापना की जायेगी. इस चेयर की स्थापना का मकसद भारतीय भौगोलिक सीमाओं के बाहर के देशों की सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी का प्रसार किया जा सके. यूनिवर्सिटी की चांसलर डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि, "इस पहल का उद्देश्य भारत और एशियाई देशों के बीच गहरे संबंधों से उत्पन्न शानदार सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है".
चांसलर और वाइस चांसलर ने अहम बैठक में लिया फैसला
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप से परे देश की सांस्कृतिक विरासत के अध्ययन के लिए एक चेयर स्थापित कर रहा है. इस संबंध में निर्णय जामिया की चांसलर डॉ. नजमा हेपतुल्ला की अध्यक्षता में नई दिल्ली में उनके निवास पर जामिया के वाइस चांसलर तलत अहमद और नेहरू सेंटर, उत्तर पूर्वी अध्ययन और नीति अनुसंधान केंद्र के प्रतिनिधियों की बैठक के दौरान लिया गया.
सांस्कृतिक विरासत के पद चिन्हों पर शोध को बढ़ावा देगा जामिया
चेयर का उद्देश्य भारत की भौगोलिक सीमाओं से परे एशियाई देशों में देश की सांस्कृतिक विरासत के पद चिन्हों पर शोध को बढ़ावा देना है. यूनिवर्सिटी आने वाले समय में कार्यशालाओं का आयोजन करेगी ताकि भारत और भारतीय सभ्याता की ऐतिहासिक भूमिका और इससे जुड़े आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों का अध्ययन किया जा सके . भारतीय संस्कृति, व्यापार, वाणिज्य, दर्शन, रीति-रिवाजों, धार्मिक प्रथाओं और विश्वासों का विस्तार अफगानिस्तान से लेकर सम्पूर्ण दक्षिण एशिया और विशेष रूप से म्यामां, मंगोलिया, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड और जापान तक इतिहास की विभिन्न अवधियों के दौरान हुआ. ऐसे में आज की स्थिति और समय में इसे बढ़ावा देने के लिये यह पहल की जा रही है.
जामिया की ये पहल है बेहद खास
अधिकारी ने बताया कि ऐसे ऐतिहासिक आदान प्रदान और सम्पर्कों के जरिये भारत ने दुनिया के देशों एवं विश्व समाज के साथ करुणा, सहिष्णुता, अहिंसा और शांति के दर्शन को भारत और एशियाई देशों के बीच निरंतर मज़बूत रिश्तों के लिए नींव रखी है. बैठक के दौरान सदस्यों ने यह महसूस किया कि इतिहास में भारत की सभ्यतागत पहुंच एवं उपस्थिति को कई कारणों से अक्सर नजरंदाज किया गया है. ऐसे में मोदी सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप देशों के बीच सम्पर्क एवं अदान प्रदान को बढ़ावा देने के लिये यह पहल महत्वपूर्ण है.
यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. तलत अहमद ने बताया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया सेंटर फॉर नार्थ ईस्ट स्टडीज विभिन्न नीतियों से जुड़े विविध आयामों पर चर्चा कर रहा है. आने वाले समय में पूर्वोत्तर परिषद को सुझाव देगा.
यूनिवर्सिटी आने वाले समय में ‘अन्य सभ्यताओं पर भारत और भारतीय सभ्यता के प्रभाव’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन करेगा.
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