जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी मोदी सरकार के एफिडेविट का विरोध करेगी
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 5 मार्च को जामिया के माइनॉरिटी स्टेटस को खत्म करने के लिए नया एफिडेविट हाईकोर्ट में दिया था.
जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी केंद्र सरकार के दिल्ली हाईकोर्ट में विश्वविद्यालय के माइनॉरिटी स्टेटस को खत्म करने के लिए दिए गए एफिडेविट का विरोध करेगी. यूनिवर्सिटी ने कहा है कि उन्हें कोर्ट में एफिडेविट से जुड़ा हुआ कोई एडवांस नोटिस नहीं दिया गया.
19 मार्च को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस को खत्म करने के लिए नया एफिडेविट दिया है. इसके साथ ही यह जानकारी भी दी गई थी कि मंत्रालय ने स्टेटस खत्म करने के लिए पहले दिए गए नोटिस को वापस ले लिया है.
यूनिवर्सिटी ने बयान जारी करते हुए बताया, ''जामिया मिल्लिया कानून के मुताबिक एफिडेविट पर दोबारा विचार करने के लिए अपना ऑब्जेक्शन फाइल करेगी.'' केंद्र सरकार के हाईकोर्ट में दिए गए एफिडेविट को मुख्य सुनवाई के लिए रखा गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस मामले को हाईकोर्ट रेगुलर हियरिंग में रख सकती है. बाद में यह मामला चीफ जस्टिस बेंच के पास सुनवाई के लिए भी जा सकता है.
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 5 मार्च को जामिया के माइनॉरिटी स्टेटस को खत्म करने के लिए नया एफिडेविट हाईकोर्ट में दिया था. यूनिवर्सिटी के बयान के मुताबिक उन्हें इस मामले में कानून के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट से कोई एडवांस नोटिस नहीं दिया गया.
जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस का मामला साल 2011 से दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है. यूनिवर्सिटी के मॉइनॉरिटी स्टेटस को खत्म करने के लिए अब तक 5 पिटीशन दाखिल की जा चुकी हैं.
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