JEE Mains 2024 Result: जब 56 कैंडिडेट्स ने पाए 100 पर्सेंटाइल तो नीलकृष्ण ही क्यों बने टॉपर, कैसे तय होती है रैंक?
JEE Mains 2024 Toppers: जेईई मेन्स 2024 के नतीजों में 56 स्टूडेंट्स को 100 पर्सेंटाइल मिला है. इस केस में रैंक कैसे तय होती है और किस आधार पर पहले, दूसरे और तीसरे टॉपर को चुना जाता है.
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NTA Tie Breaking Formula For JEE Mains: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई मेन्स परीक्षा 2024 के नतीजे जारी कर दिए हैं. इस बार कुल 56 स्टूडेंट्स को 100 पर्सेंटाइल मिला है. टॉप किया है महाराष्ट्र के नीलकृष्ण ने. दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे संजय मिश्रा और आरव भट्ट. आदित्य कुमार चौथे और हुंदेकर विदित पांचवें स्थान पर रहे. ऐसे में अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है कि जब 56 स्टूडेंट्स ने 100 पर्सेंटाइल पाया है तो टॉपर कैसे तय हुआ तो हम इसका जवाब देते हैं.
एनटीए ने बनाए नियम
एनटीए ने टाई ब्रेकिंग के कई सारे नियम बनाए हैं जिनके आधार पर रैंक तय होती है. बहुत सारे स्टूडेंट्स को जब एक ही पर्सेंटाइल मिलता है तो कैसे पहली, दूसरी और तीसरी रैंक दी जाती है, जानते हैं. आगे बढ़ने से पहले ये जान लें कि एनटीए को ये नियम क्यों बनाने पड़े. साल 2021 में कुल 18 स्टूडेंट्स को एआईआर 1 मिला था. तब एजेंसी ने तय किया कि टॉपर एक ही होना चाहिए और उसके लिए कुछ नियम तय करें.
इन दो पहलुओं पर होता है सबसे पहले विचार
टॉपर तय करने के कई प्वॉइंट हैं पर सबसे पहले जिन दो पहुलओं पर विचार होता है, वह है एज और एप्लीकेशन नंबर. जिस कैंडिडेट की उम्र ज्यादा होती है और जिसने सबसे पहले फॉर्म भरा होता है, उसे वरीयता दी जाती है. ऐसा ना के बराबर होता है कि दो कैंडिडेट्स की उम्र भी एकदम सेम हो और उन्होंने आवेदन भी सेम समय पर किया हो.
ये भी देखा जाता है
अगर इस बात पर भी रैंक तय न पायी तो फिर मैथ्स के अंक देखे जाते हैं. ये भी सेम हुआ तो फिर पहले फिजिक्स के और फिर केमिस्ट्री के अंक देखे जाते हैं. इससे भी बात न बनी तो किसी कैंडिडेट ने कितने सही और कितने गलत जवाब दिए हैं, इसका रेशियो देखा जाता है. सबसे मैथ्स विषय में ये रेशियो देखा जाता है, फिर फिजिक्स में और फिर केमिस्ट्री में. कुल मिलाकर इन बिंदुओं पर विचार करके टॉपर तय होता है.
पर्सेंटाइल कैसे निकालते हैं
इसे निकालने के लिए जिस सेशन में कैंडिडेट शामिल हुआ है. उसमें उपस्थित सभी कैंडिडेट्स की कुल संख्या जिन्होंने उसके बराबर या उससे कम अंक पाए हैं का गुना 100 से करना होता है. ये सात डेसिमल तक गणना की जाती है. ये 100 से 0 के स्केल पर कैलकुलेट होता है.
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