JNU: छात्रों की मांग के आगे झुका जेएनयू, जाति जनगणना की लिस्ट होगी जारी- इन मांगों पर भी भरी हामी
JNU To Release Caste Break-Up: जेएनयू ने भूख हड़ताल पर बैठे स्टूडेंट्स की मांगे मान ली हैं. अब यूनिवर्सिटी जाति जनगणना की लिस्ट जारी करेगी. इसके अलावा ये मांगे भी मानी गई हैं.
JNU Agrees To Students Demand: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने भूख हड़ताल पर बैठे स्टूडेंट्स की मांगे मान ली हैं. पिछले 15 दिनों से यहां बहुत से छात्र हंगर स्ट्राइक कर रहे हैं. स्टूडेंट्स ने कुल 12 बड़ी डिमांड की थी, जिनमें से यूनिवर्सिटी ने 6 मांगे मान ली हैं. इनमें से एक बड़ा मुद्दा ये है कि जेएनयू ने जाति के आधार पर छात्रों की जनगणना की सूची प्रकाशित करने पर हामी भर दी है. जल्द ही लिस्ट जारी की जाएगी. इसके अलावा कौन सी मांगों पर यूनिवर्सिटी ने हामी भरी है, जानते हैं.
इन मांगों के आगे झुकी यूनिवर्सिटी
इनमें से एक मांग है कि जेएनयू की अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करायी जाए, जैसा कि पहले होता था. कैम्पस की जाति जनगणना आयोजित की जाए, स्कॉलरशिप की राशि बढ़ाई जाए और एडमिशन के लिए वीवा-वॉयस के मार्क्स का वेटेज कम किया जाए. इसके अलावा पीएसआर गेट को फिर से खोला जाए, सेंटर्स को एसएफसी इलेक्शन आयोजित करने के लिए कहा जाए.
स्टूडेंट्स के हित के लिए लिया गया फैसला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बारे में यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि ये मांगे सिर्फ और सिर्फ स्टूडेंट्स के हित में मानी गई हैं. इसका मकसद किसी को राजनीतिक लाभ देना नहीं है. हालांकि इसके बाद भी प्रोटेस्ट बंद नहीं हुआ है. ये भूख हड़ताल 11 अगस्त को शुरू हुई थी और आज इसका 17वां दिन है. स्टूडेंट्स की डिमांड है कि यूनिवर्सिटी जिन मांगों पर राजी हुई है, उन्हें लिखित में दें. मौखिक आश्वासन पर ये अपनी स्ट्राइक नहीं खत्म करेंगे.
फिर से होगा जेएनयू एंट्रेंस एग्जाम
स्टूडेंट्स की मांगों को मान लेने पर यूनिवर्सिटी फिर से जवाहरलाल नेहरू एंट्रेंस एग्जाम (JNUEE) शुरू करेगी. इसके बेसिस पर कैंडिडे्टस को एडमिशन दिया जाएगा. इस हंगर स्ट्राइक में शामिल स्टूडेंट्स की सेहत दिन पर दिन बिगड़ रही है. प्रेसिडेंट धनंजय का 5 किलो से ज्यादा वजन कम हो गया है और किटोन लेवल 4+ है. पार्षद नीतिश कुमार का वजन 7 किलो से ज्यादा कम हो गया है.
क्या कहना है यूनिवर्सिटी का
इस बारे में यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है का छात्रों की जो जायज मांगे होंगी और जिन्हें पूरा करना अथॉरिटी के हाथ में होगा, वे मानी जाएंगी. जहां तक स्कॉलरशिप की राशि बढ़ाने की बात है तो यूनिवर्सिटी अभी पैसों की कमी का सामना कर रही है. इस बारे में यूजीसी से संपर्क करके फंड की मांग रखी जाएगी. जाति जनगणना के बारे में यूनिवर्सिटी का कहना है कि ये पहले से ही हमारी वेबसाइट पर मौजूद है कि किस कैटेगरी के कितने स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया गया है. ये हमारे लिए समस्या नहीं है.
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