IT सेक्टर में नौकरियों पर संकट, 2022 तक 30 लाख लोग हो जाएंगे बेरोजगार, जानें वजह
कोरोना संकट की वजह से पहले ही लोगों की नौकरी जा रही हैं वहीं एक और चिंता की खबर आ रही है कि 30 लाख लोगों की नौकरियों पर गाज गिरने वाली है. दरअसल बता दें कि आटोमेशन की वजह से आईटी सेक्टर की कंपनियां अगले साल तक 30 लाख नौकरियां खत्म करने की तैयारी में हैं.
देश में कोरोना संकट की वजह से हर सेक्टर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. जहां एक तरफ कोविड-19 नाम की जानलेवा बीमारी जी का जंजाल बनी हुई है तो वहीं कई बड़ी-बड़ी कंपनियां और व्यवसाय भी इस महामारी की भेंट चढ़ गए हैं. कई लोगों की नौकरी छूट चुकी हैं तो कई लोगों के रोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. वहीं अब लोगों की नौकरी खाने के लिए ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी भी आ गई है. बता दें कि ऑटोमेशन को अपना रही आईटी कंपनियों में 2022 तक 30 लाख नौकरियों के खत्म होने की खबर आ रही है. दरअसल कंपनियां 10 कर्मचारियों की जगह ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी अपनाकर 1 रोबोट से काम कराना ज्यादा बेहतर समझ रही है.
कंपनियों का मत ऑटोमेशन से होगी बचत
आईटी कंपनियों का मानना है कि ऑटोमेशन तकनीक अपनाने से कंपनियों को 100 अरब डॉलर यानी 7.3 लाख करोड़ रुपये की सेविंग होगी. हालांकि कंपनियो को रोबोट ऑटोमेशन अपनाने के लिए 10 अरब डॉलर यानी 73 हजार करोड़ रुपये खर्च भी करने पड़ेंगे. वहीं नई नौकरियो के वेतन पर कंपनियों को 5 अरब डॉलर खर्च होने होंगे.
बीपीओ सेक्टर पर गिरेगी गाज
इसे लेकर नासकॉम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डोमेस्टिक आईटी सेक्टर में करीब 1.6 करोड़ नौकरियां हैं इनमें से 90 लाख कर्मचारी बीपीओ ओर अन्य कम दक्षता वाले सेक्टर में काम कर रहे हैं. इन्ही क्षेत्रों में आईटी कंपनियां छटनी कर साल 2022 तक 30 लाख नौकरियों को खत्म करने की तैयारी में हैं.
1 रोबोट 10 कर्मचारियों का काम करेगा
गौरतलब है कि ऑटोमेशन अपनाने वाली कंपनियों की दलील है कि रोबोट सॉफ्टवेयर के रूप में 24 घंटे काम कर सकते हैं इस वजह से उनकी प्रॉडक्टिविटी में इजाफा होगा. इसके साथ ही 1 रोबोट से 10 कर्मचारियों जितना काम लिया जा सकता है. सबसे जरूरी बात ये है कि रोबोट पर एक बार ही इन्वेस्ट करना पड़ेगा यानी महीने की सैलरी देने का भी कोई चक्कर नहीं है. इस तरह कंपनियो को काफी सेविंग होगी.
आईटी सेक्टर की सभी टॉप कंपनियां छटनी की तैयारी में
बता दें कि नासकॉम की रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया है कि इंडियन आईटी मार्किट की सभी टॉप कंपनियां- टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल, टेक महिंद्रा और कॉग्जिनेंट साल 2022 तक ऑटोमेशन की वजह से बड़े स्केल पर छटनी करेंगी. इस वजह से बीपीओ सेक्टर के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है. गौरतलब है कि बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के आधार पर आईटी संगठन ने भी खुलासा किया है कि ऑटोमेशन अब तक दुनियाभर में करोड़ों नौकरियां निगल चुका है.
आटोमेशन का भारत और चीन के श्रम बाजार पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
बता दें कि ऑटोमेशन और अन्य एडवांस टेक्नोलॉजी के समावेश से भारत और चीन के श्रम बाजार काफी प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट की मानें तो दक्ष कर्मचारियों के अभाव में भारत और चीन जैसे देशों में नौकरियां तो जाएंगी ही वहीं नई तरह की जॉब के लिए एलिजिबल कर्मचारी की भी कमी रहेगी. बता दें कि ऑटोमेशन की वजब से जर्मनी में 26 प्रतिशत, चीन में 7 प्रतिशत और भारत में 5 प्रतिशत श्रम का अभाव होगा.
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