नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोनावायरस के लगातार बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षक खासा परेशान हैं. शिक्षकों की मांग है कि उन्हें बेहतर सुरक्षा के लिए पीपीई किट, मास्क और ग्लव्स मुहैया कराए जाएं. शिक्षकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वे उन्हें राहत कार्य के लिए नियुक्त करना बंद करें और स्कूल ड्यूटी में वापस जाने दें. सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लॉकडाउन में भूख राहत केंद्रों, शैल्टर होम्स, हॉटस्पॉट इलाकों, संगरोध केंद्रों के प्रभारी के रूप में रखा गया था. दिल्ली गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (जीएसटीए) के मुताबिक, अब तक 400 स्कूली शिक्षक कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं.
गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन दिल्ली के जनरल सेक्रेटरी, अजय वीर यादव ने बताया, पिछले दो महीनों में सरकारी स्कूलों के 400 शिक्षक कोरोना संक्रमण का शिकार बने हैं. सरकार को उनके परिवार के सदस्यों की मदद करनी होगी. हम भोजन और राशन वितरण केंद्रों पर काम करने वाले शिक्षकों के लिए सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे है. उन्होंने बताया, सूखा राशन बांटने के काम पर जब हमें लगाया गया तो, हम लोगों से सीधे संपर्क में आने लगे. वहां से शिक्षकों को संक्रमण होना शुरू हुआ.
यादव ने कहा, जब हमारी ड्यूटी डीएम और एसडीएम के अंडर लगी तो उन्होंने हम शिक्षकों का सम्मान बिल्कुल नहीं किया, जिसका हमें दुख है. उनके बुरे व्यवहार की वजह से हमारे सम्मान को ठेस पहुंची है. हमें गुरु माना जाता है. जब हमने उनसे पीपीई किट की मांग की तो हमें धमकी दे दी गई कि 'काम करना है करो, वरना डीडीएमए एक्ट के तहत कार्यवाही करके तुरन्त सस्पेंड कर देंगे'."
शिक्षकों की मांग है की कोविड-19 ड्यूटी के दौरान मरने वाले सरकारी शिक्षकों के लिए एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए. मृतक के परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी दी जाए. शिक्षकों की मांग है कि उन्हें पीपीटी किट, मास्क और ब्लॉक उपलब्ध कराए जाएं. दिल्ली में 1026 सरकारी स्कूल हैं और 45 हजार सरकारी शिक्षक हैं.
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के 57 वर्षीय प्रिंसिपल ओमपाल सिंह को सांस लेने में समस्या हो रही थी. जिसके बाद उन्हें पांच जून को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन गुरुवार को उन्होंने दम तोड़ दिया. वहीं आठ जून को एक सरकारी स्कूल के इंग्लिश टीचर शिवाजी मिश्रा की भी कोरोना की वजह से मृत्यु हो गई. वह फूड डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर पर कार्यरत थे. दो जून से ही उनकी हालत बिगड़ने लगी थी. जिसके बाद उनके परिजनों ने उन्हें मंडोली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, और चार जून को आई रिपोर्ट में उन्हें संक्रमित पाया गया था. उसके बाद रविवार को उनकी भी मृत्यु हो गई.
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