Garud Commando: जहां खतरों से जूझने की होती है असाधारण ट्रेनिंग, जानिए गरुड़ कमांडो बनने के लिए क्या है जरूरी
गरुड़ कमांडो भारतीय वायुसेना की विशेष बल इकाई है. जहां पर खतरों से जूझने की असाधारण ट्रेनिंग होती है साथ ही साथ शानदार सैलरी भी दी जाती है.
आपने कमांडो का नाम तो सुना ही होगा, एनएसजी (NSG) कमांडो, ब्लैक कैट कमांडो. इसी तरह होती है एक इकाई गरुड़ कमांडो (Garud Commando). यह भारतीय वायुसेना की एक विशेष बल इकाई है. इसका गठन 6 फरवरी 2004 को किया गया था. दुश्मन के हवाई क्षेत्र में हमला करने, दुश्मन के रडार व अन्य उपकरणों को ध्वस्त करने, स्पेशल काम्बैट (लड़ाई) और रेस्क्यू (बचाव) ऑपरेशन के लिए इन्हें खासतौर पर तैयार किया जाता है. इनका नाम सुनकर ही विरोधी कांप उठते हैं. जान हथेली पर रखकर काम करने वाले इन कमांडो को सैलरी भी शानदार मिलती है.
गरुड़ कमांडो बनने के लिए होती है बहुत मुश्किल ट्रेनिंग
गरुड़ कमांडो बनने के लिए तीन साल की बेहद कठिन ट्रेनिंग होती है. ट्रेनिंग इतनी मुश्किल होती है कि 30 प्रतिशत से ज्यादा प्रशिक्षु तो शुरुआती तीन महीनों में ही ट्रेनिंग छोड़कर भाग जाते हैं. गरुड़ कमांडो की सबसे ज्यादा तैनाती जम्मू और कश्मीर में होती है. सेना, एयर फोर्स कमांडो के साथ मिलकर अपने ज्वाइंट एक्शन को और तेज कर रही है. इसमें गरुड़ कमांडो का सबसे बड़ा सहयोग है. एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए इन्हें ट्रेंड किया जाता है.
कमांडो ट्रेनिंग में इन्हें नदियों और आग से गुजरना, बिना सहारे पहाड़ पर चढ़ना सिखाया जाता है. कई किलो बोझ के साथ कई किलोमीटर दौड़ाया जाता है. सुनसान-घने जंगलों में रातें बितानी पड़ती हैं. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ये कमांडो किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम होते हैं. खतरनाक हथियारों से लैस गरुड़ कमांडो दुश्मन को तुरंत खत्म कर देते हैं.
आप भी बनना चाहते गरुड़ कमांडो तो यह जानना बहुत जरूरी है
यदि आप में देश सेवा की भावना है और चुनौतियां का सामना करने की ताकत है तो आप भी गरुड़ कमांडो बन सकते हैं. इसकी अपनी चयन प्रक्रिया है, जिसके तहत फिजीकल, लिखित और मेडिकल परीक्षा होती है. इसमें दो तरीके से भर्ती होती है, एक कमीशंड और दूसरी नॉन कमीशंड. नॉन कमीशंड की भर्ती सेना द्वारा भर्ती रैली के माध्यम से की जाती है. इसमें भाग लेने के लिए 50 प्रतिशत से 12वीं पास होना जरूरी है. इसके साथ ही इंग्लिश में भी 50 प्रतिशत नंबर होने चाहिये. यदि आपकी उम्र 17.6 वर्ष से 23 साल के बीच है, लम्बाई 152.5 सेमी, सीना 77 सेमी है तो आप इसमें शामिल हो सकते हैं.
मेडिकल रूप से फिट होना जरूरी
सुनने, देखने और बोलने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, इसके अलावा आपका ब्लड, यूरिन, ईसीजी टेस्ट होगा. 1.6 किलोमीटर की दूरी 6.30 मिनट में तय करनी होगी. आपसे 10 पुशअप, 10 सिटअप, 10 स्क्वाट्स लगवाए जाएंगे.
मेडिकल पास करने के बाद होगी लिखित परीक्षा
मेडिकल पास होने के बाद होती है लिखित परीक्षा. इंग्लिश, गणित, फिजिक्स, रीजनिंग और जनरल अवेयरनेस की परीक्षा पास करने के बाद अडाप्टेबिलिटी (Adaptability) टेस्ट 1 और टेस्ट 2 होते हैं. अडाप्टेबिलिटी टेस्ट 1 में ऑब्जेक्टिव सवाल होते हैं, अडाप्टेबिलिटी टेस्ट 2 में ग्रुप डिस्कशन होता है. इसे पास करने के बाद डायनामिक फैक्टर टेस्ट (Dynamic Factor Test) पास करना होगा. इसे पास करने के बाद शुरू होगी ट्रेनिंग.
क्यों जरूरत पड़ी गरुड़ कमांडो की
आपको याद होगा कि 2001 में आतंकियों ने जम्मू और कश्मीर में एयरबेस पर हमला किया था, जिसके बाद इस गरुड़ कमांडो इकाई का गठन किया गया. उनकी ट्रेनिंग नेवी के मार्कोस और आर्मी के पैरा कमांडो की तर्ज पर होती है. इन्हें एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए ट्रेन किया जाता है.
गरुड़ कमांडो की सैलरी
गरुड़ कमांडो की सैलरी पैरा कमांडो व मार्कोस कमांडो की तरह होती हैं. गरुड़ कमांडो में सब लेफ्टिनेंट की पोस्ट पर सैलरी 72,100 से लेकर 90,600 रुपये तक हो सकती है. यह सैलरी पोस्ट के हिसाब से बदलती रहती है. गरुड़ कमांडो में सबसे ज्यादा सैलरी एक कैबिनेट सेक्रेटरी के बराबर 2,50000 रुपये तक मिलती है. इसके अलावा उन्हें भारत सरकार द्वारा दी गई कई अन्य सुविधाएं जैसे कि हाउस रेंट अलाउंस ग्रेड पे और कई सुविधाएं भी मिलती हैं.
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