कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर कई लोगों के बेरोजगार होने और करियर को लेकर असुरक्षा पैदा होने के कारण महाराष्ट्र में यहां कुछ इंजीनियर एवं प्रबंधन स्नातक आजीविका कमाने के लिए अब मुर्गी या कुक्कुट पालन और बकरी पालन जैसे ऑप्शन अपना रहे हैं.


स्टेबल प्रोफेशनल लाइफ चाहते हैं युवा


औरंगाबाद में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) में कुक्कुट एवं बकरी पालन कोर्स की एक्सपर्ट डॉ. अनीता जिंतुरकर ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि एक स्टेबल प्रोफेशनल लाइफ की चाह में 20 इंजीनियरों मैनेजमेंट डिग्री होल्डर्स ने हाल में केंद्र में कुक्कुट पालन के पाठ्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. उन्होंने कहा, ‘‘इन इंजीनियरों को लगता है कि वे हर महीने एक तय वेतन कमाने के लिए कई घंटे काम करते थे. कोविड-19 के कारण नौकरियों में पैदा हुई अनिश्चतता के कारण इनमें से कुछ इंजीनियरों एवं प्रबंधन स्नातकों ने कुक्कुट एवं बकरी पालन का काम करने का फैसला किया है, क्योंकि उनका मानना है कि इससे वे सीमित घंटे काम करके ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं.’’


मुर्गी-बकरी पालन कोर्स के लिए 20 कैंडिडेट्स ने किए अब तक आवेदन


वसंतराव नाइक कृषि विश्वविद्यालय (परभणी) के तहत संचालित केवीके सप्लीमेंटरी एग्रीकल्चर कोर्सेस में ट्रेनिंग देता है. डॉ. जिंतुरकर ने कहा कि उन्हें अब तक कुक्कुट और बकरी पालन कोर्सेस के लिए 20 आवेदन प्राप्त हुए हैं और पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाई जल्द ही ऑनलाइन शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘इन छात्रों में 15 इंजीनियर, दो प्रबंधन डिग्री धारक और तीन एजुकेशन में डिप्लोमा होल्डर हैं. पहले जो लोग फुल टाइम खेती करते थे, वे इस तरह का प्रशिक्षण लेते थे, लेकिन कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगने के बाद इंजीनियर और प्रबंधन डिग्री धारक भी कुक्कुट पालन और बकरी पालन का काम करना चाहते हैं.’’


कम समय में ज्यादा इनकम हो सकती है


सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर चुके पवन पवार ने कहा कि उनके परिवार के पास खेती के लिए जमीन है, लेकिन फिलहाल उस पर खेती करने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं महीने के अंत में एक निश्चित आय अर्जित करने के लिए हर रोज लंबे समय तक काम करता हूं. मुझे लगता है कि अगर मैं अपना समय और ऊर्जा मुर्गी पालन और बकरी पालन व्यवसाय में लगाता हूं, तो मैं और ज्यादा कमा सकता हूं, इसलिए मैंने इस कोर्स के लिए आवेदन किया है.’’


किसी प्राइवेट नौकरी में नहीं है स्टेबिलिटी


यहां के जिओराई टांडा गांव निवासी इंजीनियर कृष्णा राठौड़ ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान मेरी कंपनी ने मुझसे इस्तीफा देने को कहा. इसने मुझे डरा दिया क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि इस समय किसी नौकरी में निश्चितता नहीं है.  इसलिए, मैंने बकरी पालन के साथ-साथ कुक्कुट पालन व्यवसाय के बारे में सीखने का फैसला किया. वर्तमान में, मेरे पास एक नौकरी है, लेकिन अपना बिजनेस सेटअप कर लेने के बाद मैं नौकरी छोड़ दूंगा.’’


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