नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा रेलवे के संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी देते हुए मौजूदा आठ ग्रुप ए के सेवाओं को एक केंद्रीय सेवा, इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (आईआरएमएस) के रूप में मंजूरी देने के दो दिन बाद रेलवे बोर्ड के चेयमैन वी.के.यादव ने गुरुवार को कहा कि रेलवे में सभी नई भर्तियां पांच स्पेशल्टीज के तहत यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा के जरिए होगी.


उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को रेलवे की आठ सेवाओं का विलय कर उन्हें भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) बना दिया है.


पहले प्रारंभिक परीक्षा देनी होगी


यादव ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अन्य अभ्यर्थियों की तरह ही रेलवे में नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों को पहले प्रारंभिक परीक्षा देनी होगी. इसके बाद वे पांच विशेषज्ञताओं के तहत आईआरएमएस को चुन सकते हैं. इन पांच विशेषज्ञताओं में से ‘तकनीकी’ के तहत चार इंजीनियरिंग.... सिविल, मकैनिकल, टेलीकॉम और इलेक्ट्रिकल... के और एक गैर-तकनीकी होगा. गैर-तकनीकी में लेखा, कार्मिक और यातायात क्षेत्र की नियुक्तियां होंगी.


उन्होंने कहा, ‘‘इसकी विस्तृत रुपरेखा तैयार की जाएगी, लेकिन फिलहाल ऐसा है कि.... अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा देंगे और फिर अपनी पसंद चुनेंगे. उन्हें आईआरएमएस परीक्षा में शामिल होने का भी विकल्प दिया जाएगा.’’


यादव ने कहा, ‘‘हम पांच विशेषज्ञताओं के तहत हमारी भर्ती को स्पष्ट करते हुए उसका मांगपत्र भेजने वाले हैं. इनमें चार इंजीनियरिंग के हैं और एक गैर इंजीनियरिंग. गैर इंजीनियरिंग वाले में कला संकाय के लोग नियुक्ति पा सकते हैं. इसमें लेखा, यातायात और कार्मिक सेवाएं शामिल होंगी. सभी को एक ही समय पर पदोन्नति दी जाएगी.’’


पहले बैच की भर्ती 2021 में होगी


इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि पहले बैच की भर्ती 2021 में होगी, जबकि विलय किए गए अधिकारियों के साथ पांच सदस्यीय नया बोर्ड अगले साल के मध्य में अस्तित्व में आएगा.


उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष, जो रेलवे का नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी होगा, सिर्फ और भारतीय रेलवे सेवा का अधिकारी होगा. वह किसी अन्य सेवा से नहीं आएगा.


यादव ने कहा, ‘‘35 साल का अनुभव रखने वाले भारतीय रेलवे सेवा के अधिकारी ही अध्यक्ष/सीईओ नियुक्त किए जाएंगे.’’ यादव इसी महीने के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं.


उन्होंने यह भी कहा कि सेवाओं के विलय का फैसला इसलिए लिया गया है ताकि अधिकारी रेलवे को अपनी सेवाओं से पहले रखें. जबकि मौजूदा प्रणाली में अधिकारियों के लिए उनकी सेवाएं रेलवे से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई थीं.


रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष यादव ने कहा, ‘‘कैडर के विलय से जुड़ी रुपरेखा तय होने तक सभी अधिकारी अपनी-अपनी विशेषज्ञता सेवा क्षेत्रों में काम करना जारी रखेंगे. हम सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी अधिकारी के करियर की प्रगति में कोई बाधा/रुकावट ना आए.’’


गौरतलब है कि कैडरों के विलय की घोषणा के बाद अधिकारियों के बीच अपनी वरिष्ठता खोने को लेकर उत्पन्न आशंकाओं की पृष्ठभूमि में यादव ने यह घोषणा की है.


यादव ने कहा कि रेलवे अपने करियर में पीछे चल रहे अधिकारियों को ऊपर उठाने का प्रयास करेगा, ना कि जो आगे निकल गए हैं उन्हें नीचे करने की.


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