वैक्सीन बनाने वालों को कम से कम कितनी सैलरी देता है सीरम इंस्टिट्यूट? रकम सुनकर उड़ जाएंगे होश
Serum Institute Of India: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में नौकरी मिलना मानो शानदार करियर के रास्ते खुलना. हालांकि ये सफर इतना भी आसान नहीं होता, यहां की तगड़ी सैलरी के लिए तगड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है.
Salary Of Serum Institute Of India: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में वैक्सीन बनाने वालों की सैलरी सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. हालांकि यहां पहुंचना और इस पद, पैसे व रुतबे को पाने के लिए कड़ी मेहनत और सालों का समर्पण लगता है. जी-तोड़ मेहनत, सालों के रिसर्च और पेशेंस के साथ लगे रहने के बाद वो दिन आता है जब किसी वैक्सीन का निर्माण होता है और करियर को नया मुकाम मिलता है. आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि इस फील्ड में एंट्री कैसे होती है और कैसे समय के साथ पैसा बढ़ता है.
साइंस है जरूरी
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के किसी भी विभाग यानी मैनेजमेंट से लेकर, सप्लाई चेन, मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन तक में जॉब पाने के लिए संबंधित फील्ड में क्वालीफिकेशन होने के साथ ही अगर आपका बैकग्राउंड साइंस का है तो ये एक प्लस प्वॉइंट है. फार्मेसी से लेकर, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और बीएससी किए कैंडिडेट्स पद के मुताबिक आवेदन कर सकते हैं.
अलग-अलग लेवल पर बैचलर्स से लेकर मास्टर्स कोर्स किए कैंडिडेट अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि विभाग कोई भी हो अगर आप बायो विषयों से पढ़े हैं तो चयन की उम्मीद बढ़ जाती है. ये साइंस बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स को प्रिफरेंस देते हैं.
टेक्नोलॉजी का ज्ञान है जरूरी
सीरम इंस्टीट्यूट में किसी भी स्तर पर नौकरी पानी हो, टेक्निकल नॉलेज का होना बहुत जरूरी है. अगर आप टेक्निकली साउंड नहीं हैं तो यहां सरवाइव करना या प्रमोशन पाना खासा मुश्किल हो जाता है. यहां कदम-कदम पर तकनीकी ज्ञान की जरूरत पड़ती है. यहां काम ही ऐसा है कि टेक्निकल नॉलेज के बिना सरवाइव करना कठिन है.
हर कदम पर रहना होता है सजग
वैक्सीन बनाना एक ऐसा काम है जिसके लिए आपको अतिरिक्त सजगता बरतनी होती है क्योंकि इससे लाखों, करोड़ों जिंदगियां प्रभावित होती हैं. सीरम इंस्टीट्यूट केवल देश में ही नहीं विदेशों में भी बड़ी मात्रा में वैक्सीन सप्लाई करता है. डब्व्यूएचओ को भी यहां से वैक्सीन भेजी जाती है. जाहिर है जब इतने बड़ी संख्या में लोगों का जीवन आपके काम से प्रभावित हो रहा हो तो अतिरिक्त सजगता तो बरतनी ही पड़ती है साथ ही बहुत जिम्मेदारी से काम पूरा करना होता है.
केवल वैक्सीन बनाना ही बड़ी बात नहीं
वैक्सीन बनाने के लिए लगने वाली मेहनत, रिसर्च और ट्रायल एंड एरर को अगर एक किनारे कर दें (जो बहुत मेहनत और जिम्मेदारी का काम है) तो इन्हें संभालने में भी बहुत सतर्कता दिखानी होती है. वैक्सीन बनने के बाद उसे सही टेम्परेचर पर स्टोर करना, सही-सलामत मंजिल तक पहुंचना जैसे कई चरण होते हैं जिनके लिए हर लेवल पर लोग अप्वॉइंट किए जाते हैं जिन्हें बहुत ही जिम्मेदारी से अपने काम को अंजाम देना होता है.
फ्रेशर्स की सैलरी
हर जगह की तरह इस संस्थान में भी सैलरी कितनी मिलती है ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस डिपार्टमेंट में हैं, कितने सालों से हैं और आपको अपने काम की कितनी नॉलेजहै और सीखने की ललक कैसी है. लर्निंग एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है, जो सीखते रहते हैं, वे आगे बढ़ते रहते हैं.
फ्रेशर लेवल पर यहां महीने के 50 से 60 हजार रुपये सैलरी आसानी से मिलती है. अनुभव बढ़ने के साथ ये महीने के 5 से 10 लाख तक पहुंच जाती है.
समय देना पड़ता है
ग्रोथ, प्रमोशन, सैलरी, पोजीशन और पर्क्स के लिए समय देना पड़ता है. जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता है, काम की नॉलेज बढ़ती है और आप नई वैक्सीन की खोज में अहम भूमिका निभाने लगते हैं, वैसे-वैसे पैसे बढ़ते जाते हैं. हायर लेवल के साइंटिस्ट को मिलने वाली सैलरी अच्छी-खासी होती है. इस बाबत सटीक जानकारी देना संभव नहीं है पर मोटी तौर पर हायर पोजीशन पर ये साल के 60-70 लाख रुपये तक आसानी से कमा लेते हैं.
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