इन पांच पड़ावों को पार करने के बाद ही कोई युवा बन पाता है यूपी पुलिस में सिपाही
पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए अगर आप करना चाहते हैं फिजिकल पास तो करें इन नियमों का पालन. इससे आपको मंजिल तक पहुंचने से आपको कोई नहीं रोक पाएगा.
![इन पांच पड़ावों को पार करने के बाद ही कोई युवा बन पाता है यूपी पुलिस में सिपाही these five tasks are to be completed to become a constable in up police as without passing no one can claim to become a constable इन पांच पड़ावों को पार करने के बाद ही कोई युवा बन पाता है यूपी पुलिस में सिपाही](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/09/23/5d7bfed09b565eab227c0821911a5d681727084531874140_original.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
सिपाही भर्ती में जबतक प्रशिक्षण के पांच पड़ाव को पार न कर लिया जाए, किसी युवा के सिपाही बनने का सपना पूरा नहीं हो सकता. इन पड़ावों को पार करने के बाद ही उनका सफर पूरा होता है और वह लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं.
यूपी पुलिस की सिपाही भर्ती 2023 की लिखित परीक्षा का परिणाम आ गया है. इसके साथ ही अब युवा शारीरिक माप व शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए जुट गए हैं. हालांकि युवाओं को यह नहीं समझना चाहिए कि वह इन टेस्टों को पास करने के बाद सिपाही बन जाता है. उसे इन चुनौतियों को पार करने के बाद ज्वाइनिंग लेटर तो मिल जाता है लेकिन उनकी नौकरी ट्रेनिंग में सफल होने और पूरी करने के बाद ही पक्की मानी जाती है. आइये जानते हैं सिपाही की भर्ती के दौरान किन पांच पड़ावों को पार करे बिना सिपाही नहीं बना जा सकता ...
1. फिजिकल फिटनेस:
किसी भी स्थिति में सबसे आगे रहने वाले सिपाही के लिए शारीरिक दक्षता सबसे अहम और जरूरी हिस्सा होता है. यही वजह है कि सिपाही भर्ती की विभिन्न प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद चुने गए युवाओं को एक कड़ी और कठिन फिजिकल ट्रेनिंग से होकर गुजरना पड़ता है. ये ट्रेनिंग उनके अंदर ताकत, स्टैमिना और थकावट में भी मजबूती लाने का काम करती है. इसका लाभ उन्हें फील्ड पर मुश्किल हालात के समय मुश्किल हालात का सामना करने में मिलता है.
2. क्लासरूम इंस्ट्रक्शन:
प्रशिक्षुओं को क्लासरूम इंस्ट्रक्शन के तौर पर विभिन्न विषयों जिनमें कानून व्यवस्था, मानवाधिकार, क्रिमिनल लॉ, फॉरेंसिक साइंस और जांच से जुड़ी तकनीक शामिल है, इनके बारे में बताया जाता है. इन सभी इंस्ट्रक्शंस का इस्तेमाल फील्ड पर ड्यूटी करते समय करते हैं और बेहतर पुलिसिंग कर समाज को सुरक्षित रखने का काम करते हैं.
3. फील्ड ट्रेनिंग:
रिक्रूटों को विभिन्न तरह की स्थितियों और परिस्थितियों के संबंध में फील्ड ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें भीड़ नियंत्रण, आपदा प्रबंधन और उत्तेजित या हथियारों से लैस हमलावरों से निपटने के गुर शामिल है. इस दौरान उन्हें मेंटली टफ होने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वह मानसिक रूप से पूर्ण रूप से नियंत्रित रहते हुए स्थिति का आंकलन कर उसके अनुसार कार्रवाई कर सकें और अधिकारी के निर्देशों का पालन करते हुए कार्रवाई कर सके.
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4. हथियारों का प्रशिक्षण:
पुलिस ट्रेनिंग में हथियारों का प्रशिक्षण एक अहम कड़ी और पड़ाव होता है. सभी रिक्रूटों को सभी तरह के फायर आर्म्स या असलहों को संभालने और चलने की ट्रेनिंग दी जाती है. इनमें एक सामान्य रिवाल्वर से लेकर एके-47, लाइट मशीन गन जैसे हथियार शामिल है. इसके अलावा उन्हें ग्रेनेड व आंसू गैस के गोले दागने वाली गन का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.
5. मॉक ड्रिल:
प्रशिक्षण के दौरान मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया जाता है. इसमें बैंक लूट या आतंकी हमले जैसी स्थितियों में उनके द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रियाओं और गतिविधियों को नोट कर उनके प्रशिक्षण को बेहतर बनाते हुए उनकी कमियों को दूर कर बेहतर पुलिसकर्मी के तौर पर तैयार किया जाता है.
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