भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि एक धर्म की तरह हैं.  इसका आयोजन एक त्योहार की तरह ही होता है. हालांकि, इस खेल की जड़ें इंग्लैंड में हैं. लेकिन, भारत इस खेल में एक प्रमुख देश बन गया है,  क्योंकि भारत दुनिया में क्रिकेट प्रतिभा का सबसे अच्छा उत्पादक है.

 

भारत जैसे क्रिकेट प्रेमी देश में बचपन से क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों का सपना होता है कि वे एक दिन टीम इंडिया के लिए क्रिकेट खेलें. लेकिन हर कोई भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल नहीं हो सकता है. ऐसे सवाल मन में आता है कि क्रिकेट से जुड़ा और क्या किया जा सकता है. ऐसी ही क्रिकेट से जुड़ी जॉब्स में अंपायरिंग का नाम सबसे ऊपर आता है, लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि अंपायर बनते कैसे हैं. इस लेख हम आपको अंपायर बनने के बारे में बताने जा रहे हैं.

 

क्रिकेट अंपायर बनने की प्रक्रिया कई चरणों में विभाजित होती है. यह प्रक्रिया न केवल आपके क्रिकेट के ज्ञान को परखती है, बल्कि आपकी शारीरिक फिटनेस और निर्णय लेने की क्षमता का भी परीक्षण करती है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं, 

प्रारंभिक पंजीकरण


अंपायर बनने के लिए सबसे पहले आपको अपने संबंधित राज्य क्रिकेट संघ (State Cricket Association) में पंजीकरण कराना होगा. इसके लिए आपको स्थानीय मैचों में अंपायरिंग का अनुभव प्राप्त करना आवश्यक है.

 

स्थानीय मैचों में अनुभव

 

आपको स्थानीय स्तर पर कुछ मैचों में अंपायरिंग करनी होगी ताकि आप इस क्षेत्र में अनुभव प्राप्त कर सकें. यह अनुभव आपके नाम को आगे बढ़ाने में मदद करेगा.

 

बीसीसीआई परीक्षा के लिए नामांकन

 

जब आप अपने राज्य संघ के साथ पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लेते हैं, तो आपका नाम बीसीसीआई (Board of Control for Cricket in India) द्वारा आयोजित लेवल 1 परीक्षा के लिए भेजा जाएगा.

 

कोचिंग और लिखित परीक्षा                                                                                                                                                                                                         

बीसीसीआई द्वारा तीन दिनों की कोचिंग कक्षाएं आयोजित की जाती हैं, जिसके बाद चौथे दिन एक लिखित परीक्षा होती है. इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है.

 

इंडक्शन कोर्स

 

शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को एक इंडक्शन कोर्स के लिए बुलाया जाता है, जहां खेल के नियमों और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी जाती है.

 

व्यावहारिक और मौखिक परीक्षा

 

इंडक्शन कोर्स पूरा करने के बाद, उम्मीदवारों को व्यावहारिक और मौखिक परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है. इन परीक्षाओं में सफल होने पर ही आप लेवल 2 परीक्षा के लिए पात्र होते हैं.

 

मेडिकल टेस्ट

 

लेवल 2 परीक्षा पास करने के बाद, आपको एक मेडिकल टेस्ट भी देना होता है, जिसमें आपकी शारीरिक फिटनेस की जांच की जाती है.

 

अंतिम मान्यता

 

जब आप सभी चरण सफलतापूर्वक पार कर लेते हैं, तो आपको बीसीसीआई द्वारा अंपायर के रूप में मान्यता मिल जाती है. इस प्रक्रिया का पालन करके आप एक योग्य क्रिकेट अंपायर बन सकते हैं, जो विभिन्न स्तरों पर मैचों का संचालन कर सकता है.

 

अंपायर को मिलती है इतनी सैलरी

 

एक अंपायर की सैलरी उनके ग्रेड, अनुभव और सीनियरिटी पर निर्भर करती है. फिर भी रिपोर्ट्स के अनुसार, बीसीसीआई में A+ और A ग्रेड के अंपायरों को घरेलू मैचों के लिए रोज़ाना 40,000 रुपये मिलते हैं. वहीं, B और C ग्रेड के अंपायरों को रोज़ाना 30,000 रुपये मिलते हैं. अगर अंपायर का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहता है, तो उसे आईसीसी के पैनल में शामिल किया जा सकता है. आईसीसी के एलीट पैनल के अंपायरों को प्रति मैच 1.50 से 2.20 लाख रुपये तक मिलते हैं. इनकी सालाना सैलरी 75 लाख रुपये से ज़्यादा हो सकती है.

 

वनडे मैच के लिए अंपायर को 2,500 से 3,000 अमेरिकी डॉलर की सैलरी मिलती है. यानी, एक वनडे मैच के लिए अंपायर को करीब 2 से 2.5 लाख रुपये मिलते हैं. टेस्ट मैच में, आईसीसी अंपायरों को 3,77,567 रुपये मिलते हैं. टी20 प्रारूप में अंपायरों का वेतन लगभग 1,13,270 रुपये है. अंपायर स्पांसरशिप से भी अच्छी खासी कमाई करते हैं.