Unemployment In India:

दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत वैश्विक पटल पर पर आर्थिक गतिविधियों में भी आगे निकल रहा है. यहां की अर्थव्यवस्था को विशाल और शिक्षित मानव पूंजी से लाभ मिला है. इसके विपरीत, भारत के शिक्षित युवाओं को अधिक बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और श्रम बाजार के बीच असंतुलन को दर्शाता है. आधिकारिक आंकडों के अनुसार केरल में युवा बेरोजगारी दर राज्यों में सबसे अधिक है, जबकि मध्य प्रदेश में सबसे कम है. आइए जानते है, भारत के अलग अलग राज्यों में क्या है, बेरोज़गारी का परिदृश्य.

 हाल के आंकड़ों के अनुसार, बेरोज़गारी दर को समझने के लिए कुछ प्रमुख मापदंडों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट, वर्कर पॉपुलेशन रेशियो, अनएम्प्लॉयमेंट रेट आदि. इनके अनुसार ही, कहीं भी बेरोज़गारी की वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जाता है.

 

 

उच्चतम बेरोज़गारी दर वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश:

लक्षद्वीप: 15-29 वर्ष आयु वर्ग में 36.2% (महिलाओं में 79.7%, पुरुषों में 26.2%).

अंडमान और निकोबार द्वीप: 33.6% (महिलाओं में 49.5%, पुरुषों में 24%)

केरल: 29.9% (महिलाओं में 47.1%, पुरुषों में 19.3%)

नागालैंड: 27.4%

मणिपुर: 22.9%

अरुणाचल प्रदेश: 20.9%

गोवा: 19.1%

 

न्यूनतम बेरोज़गारी दर वाले राज्य:

मध्य प्रदेश: लगभग 0.9%

गुजरात: 1.1%

झारखंड: 1.3%

छत्तीसगढ़: लगभग 2.5%

दिल्ली: लगभग 2.1%

 

महिलाओं और युवाओं की बेरोज़गारी

महिलाओं की बेरोज़गारी दर देशभर में बढ़ रही है. उदाहरण के लिए, महिलाओं के लिए कुल बेरोज़गारी दर पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़कर 3.2% हो गई है. युवा वर्ग (15-29 वर्ष) में यह दर अधिक चिंताजनक है, जिसमें कुल युवा बेरोज़गारी दर डबल डिजिट में यानी कि लगभग 10.2% है. 

 

शहरी बनाम ग्रामीण क्षेत्र

बेरोज़गारी की स्थिति शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच भी भिन्न होती है. शहरी क्षेत्रों में युवा बेरोज़गारी दर लगभग 14.7% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह केवल करीब 8.5% है.

 

बेरोज़गारी का समग्र परिदृश्य

2023-24 के दौरान भारत की औसत बेरोज़गारी दर स्थिर रहकर लगभग 3.2% पर बनी हुई है. यह पिछले वर्षों की तुलना में एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है. भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बेरोज़गारी की स्थिति अलग-अलग है, जो न केवल आर्थिक विकास को प्रभावित करती है बल्कि सामाजिक संरचना पर भी गहरा असर डालती है.

 

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