आसान नहीं होती कॉन्स्टेबल बनने की राह, लिखित परीक्षा के बाद नियमित सिपाही तक करने होंगे ये काम
UP Police Constable Recruitment 2024: यूपी पुलिस में सिपाही बनना किसी भी और महकमे में नौकरी पाने से कहीं ज्यादा कठिन होता है.
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आमतौर पर जब कोई युवा लिखित परीक्षा व इंटरव्यू या मूल्यांकन के पड़ाव को पार कर लेता है तो वह सरकारी नौकरी पक्की मान बैठते है. वहीं, पुलिस में कई चरणाें की परीक्षाएं पास करने के बाद भी ट्रेनिंग में नाकाम होने या किसी तरह की लापरवाही बरतने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. करीब 9 से 12 महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद वह एक सिपाही बनकर बाहर निकलते हैं और प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने में योगदान देना शुरू करते हैं.
फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस की सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम जारी हो चुका है. इस परीक्षा के बाद अब शारीरिक दक्षता परीक्षा, शारीरिक माप और फिटनेस टेस्ट की प्रक्रिया पूरी होगी. इसके बाद चुने हुए व्यक्तियों को सिपाही बनने की ट्रेनिंग लेने के लिए प्रदेश के विभिन्न ट्रेनिंग सेंटरों पर भेज दिया जाएगा. आइए जानते हैं कौन-कौन से ट्रेनिंग सेंटर है जहां पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाती है.
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यहां मिलती है पुलिस वालों को ट्रेनिंग
सामान्य तौर पर यूपी पुलिस के अधिकारी से लेकर सिपाही तक को प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश में नौ प्रशिक्षण संस्थान बने हुए हैं. इनमें मुरादाबाद में स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर उत्तर प्रदेश पुलिस अकादमी प्रदेश की अकेली पुलिस अकादमी है जहां पर दरोगा से लेकर आईपीएस अधिकारियों को विभिन्न तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज मुरादाबाद और सीतापुर, आर्म्ड ट्रेनिंग सेंटर सीतापुर, पुलिस ट्रेनिंग स्कूल मुरादाबाद, गोरखपुर, उन्नाव और मेरठ के अलावा चुनार में स्थित रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर शामिल है.
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यहां भी दी जाती है सिपाहियों को ट्रेनिंग
सामान्य तौर पर रिक्रूट सिपाहियों को पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों में ट्रेनिंग मिलती है. इसके अलावा प्रदेश की विभिन्न पीएसी बटालियन और जिलों में कुल 33 जिला ट्रेनिंग केंद्र है, जहां सिपाही बनने के लिए बेसिक ट्रेनिंग कोर्स कराया जाता है.
चयन के बाद शुरू होती है लंबी ट्रेनिंग
नियुक्ति पत्र मिलने के बाद ही सिपाही बनकर जन सेवा करने के लिए रिक्रूट सिपाहियों को एक लंबी और कठिन ट्रेनिंग से होकर गुजरना पड़ता है. इस ट्रेनिंग में कई हिस्से होते हैं जिनमें शारीरिक, मानसिक, फील्ड ट्रेनिंग, हथियारों की ट्रेनिंग के अलावा मॉक ड्रिल के जरिए विभिन्न तरह की परिस्थितियों से रूबरू कराया जाता है.
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