एक्सप्लोरर

लेटरल एंट्री से आने वाले अफसरों को कितनी मिलती है सैलरी, प्रॉपर IAS से कितना होता है अंतर?

Lateral Entry Officer: लेटरल एंट्री ऑफिसर बनने के बाद सैलरी कितनी मिलती है, ये पद कैसे हासिल होता है. रेग्यूलर यूपीएससी भर्ती से ये किस प्रकार अलग होता है? जानें इन सवालों के जवाब.

Difference Between Later Entry & Regular Recruitment: पिछले दिनों जब से लेटर एंट्री के माध्यम से 45 पदों पर भर्ती का ऐलान हुआ था तभी से इसे लेकर सरकरा और विपक्ष में घमासान मचा था. आज इस भर्ती को वापस ले लिया गया है और अब इन पदों पर कैंडिडेट्स की नियुक्ति नहीं होगी. इस माहौल में अगर आपके मन में भी सवाल उठ रहा है कि लेटरल एंट्री क्या होती है, कैसे होती है और ये रेग्यूलर आईएएस से किस प्रकार अलग होती है तो हम आपके सवालों के जवाब दिए देते हैं.

क्या है माजरा

बीती 17 अगस्त को ज्वॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और सेंट्रल मिनिस्ट्री में 45 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन प्रकाशित हुआ. खास बात ये थी कि इन पदो पर लेटरल भर्ती के माध्यम से कैंडिडेट्स का चुनाव होना था. जो पद आईएएस, आईपीएस या आईओएफएस यानी की ग्रुप ए सर्विसेज द्वारा प्रमोशन मिलने पर भरे जाते हैं, वे बिना ये परीक्षा दिए भरने के लिए भर्ती निकली.

विपक्ष ने इन पदों पर रिजर्वेशन न देने की बात पर सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि ये एक खास वर्ग के कैंडिडेट्स के साथ अन्याय है. बहस जारी रही और ये सवाल उठता रहा कि जिन पदों पर कैंडिडेट देश की सबसे कठिन परीक्षा पास करके पहुंचते हैं, उन पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती कहां तक उचित है.

क्या होती है लेटरल एंट्री

लेटरल एंट्री के तहत सरकार से बाहर के यानी प्राइवेट कंपनियों के उच्च पदों पर आसीन, अपने क्षेत्र का लंबा अनुभव रखने वाले कैंडिडे्टस को सेंट्रल मिनिस्ट्री में अलग-अलग पदों पर नियुक्ति मिलती है. इनको किसी प्रकार की परीक्षा नहीं देनी होती और चयन केवल इंटरव्यू के आधार पर होता है. कमेटी गठित होती है जो इनका साक्षात्कार करती है.

हालांकि कुछ शर्तें होती हैं जो कैंडिडेट की पूरी करनी होती हैं. जैसे इस बार की भर्ती में कैंडिडेट के लिए एज लिमिट 35 से 45 साल तय की गई थी. उसने संबंधित फील्ड में कम से कम 15 साल काम किया हो, ये जरूरी है. कुल मिलाकर यहां विषय के विशेषज्ञ हायर किए जाते हैं जिन्हें किताबी जानकारी के बेस पर नहीं प्रैक्टिकल नॉलेज के बेस पर नियुक्ति दी जाती है.

कुछ साल के लिए होती है जॉब

लेटरल एंट्री के माध्यम से इन उच्च पदो पर आसीन कैंडिडेट का कार्यकाल तीन साल का होता है. उनके प्रदर्शन को देखते हुए इसे पांच साल तक का किया जा सकता है. सैलरी की बात करें तो सेलेक्टेड कैंडिडेट्स  की महीने की सैलरी 2.32 लाख तक हो सकती है. फिक्स सैलरी की बात करें तो ये 1.52 लाख फिक्स है. मोटे तौर पर कहें तो एक आईएएस या संबंधित अधिकारी जब कई साल काम करने के बाद प्रमोशन पाने के बाद इन पदों पर पहुंचता है तो उसे भी इतनी ही सैलरी मिलती है.

क्यों मचा है हंगामा

इस बार के हंगामे में आरक्षण से लेकर, बाहरी लोगों को मिनिस्ट्री में रखने तक के तमाम मुद्दे उठाए जा रहे हैं. इस भर्ती कि शुरुआत यूपीए सरकार के टाइम पर ही हुई थी. हालांकि अब इसे वापस ले लिया गया है.

रेग्यूलर आईएएस से अंतर की बात की जाए तो इन दोनों भर्तियों में कई डिफरेंस हैं. आईएएस या आईपीएस ऑफिसर बनने के लिए लाखों कैंडिडेट्स के कांपटीशन को बीट करके और फिर ट्रेनिंग लेकर सालों अपने विभाग में काम करने के बाद ये पद मिलते हैं. लेटरल एंट्री वालों को उनके काम, अनुभव और स्किल्स के बेसिस पर चयनित किया जाता है. वे किसी प्रकार की लिखित परीक्षा नहीं देते और ना ही कांपटीशन फेस करते हैं. 

यह भी पढ़ें: कब तक जारी हो सकते हैं नीट पीजी परीक्षा के नतीजे, पढ़ें अपडेट

Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget