मंत्री ने यह स्वीकार किया कि कोविड-19 के चलते जो लॉक डाउन किया गया उससे उन परीक्षाओं के शेड्यूल को सबसे अधिक प्रभावित किया जो परीक्षायें 24 मार्च को स्थगित की गयी थीं. उन्होंने मई में परीक्षा कराने में इसलिए असमर्थता व्यक्त की क्योंकि इन परीक्षाओं में लगभग 30 लाख से 35 लाख छात्रों के शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी. इतनी बड़ी तादात में छात्रों की परीक्षा करवाने के लिए विभिन्न स्तरों पर पहले से ही तैयारियाँ करनी पड़ती हैं.
ये तैयारियाँ परीक्षा की घोषणा से लेकर परीक्षा की डेट शीट, परीक्षा के लिए प्रश्न पत्रों का निर्माण, परीक्षार्थियों का पूरा डाटा तैयार करवाना, परीक्षा हेतु परीक्षा केंद्र की व्यवस्था करना, उत्तर पुस्तिकाओं एवं प्रश्न पत्रों को परीक्षा केन्द्रों तक पहुँचाने जैसे कार्य करने पड़ते हैं. इन सभी कार्यों अंजाम देने के लिए कम से कम 90 दिन के समय की आवश्यकता होती है. इस आधार पर यह अब यह समझने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए कि परीक्षा प्रक्रिया को पूरा करने में 2-3 महीने का समय लग सकता है.
इस बारे में हमारे भी तरफ से परीक्षाओं के आयोजन के सम्बन्ध में वीसी की समिति द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गयी है. हम भी यह चाहते हैं कि किसी भी तरह से छात्रों का कोई नुकसान न हो. उन्होंने यह भी कहा कि फ़िलहाल प्रदेश सरकार यूजीसी की रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है.
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