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अमेरिका में कितने साल की होती है MBBS की पढ़ाई? भारत से कितनी अलग है वहां की पढ़ाई

भारत में एमबीबीएस पांच साल का ग्रेजुएशन कोर्स है जबकि यूएस में यह चार साल का पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स है.

Career: संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में एमबीबीएस की पढ़ाई करना किसी भी छात्र के लिए सपना सच होने जैसा है. हालांकि ​अमेरिका की किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करना आसान नहीं है. आइये हम बताते हैं कि 12वीं पास करने के बाद यूएस की किसी नामी यूनिवर्सिटी या कॉलेज से एमबीबीएस करने के लिए क्या करना होगा. 
 
भारत में स्नातक, यूएस में परास्नातक डिग्री है एमबीबीएस
भारत में बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद नीट का इग्जाम देकर देश के किसी भी मेडिकल कॉलेज या विश्वविद्यालय से एमबीबीएस किया जा सकता है. वहीं, यूएस में एमबीबीएस पोस्ट ग्रेजुएट यानि परास्नातक डिग्री है. ऐसे में अगर भारत से कोई बारहवीं पास छात्र यूएस में एमबीबीएस करना चाहता है तो या तो उसे भारत में एमबीबीएस करना होगा या फिर यूएस में किसी कॉलेज से प्री मेडिकल डिग्री लेनी होगी.
 
चार साल का होता है यूएस में एमबीबीएस कोर्स
भारत से एमबीबीएस कर चुके किसी भी छात्र को यूएस में एमबीबीएस या डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन एमडी करने के लिए सामान्य तौर पर चार साल का समय लगता है. दो साल थ्योरी क्लास के लिए होते हैं जबकि दो साल क्लीनिकल प्रै​क्टिस होती है. इससे पहले भारत के किसी बारहवीं के छात्र को करीद दो साल प्री मेड कोर्स के लिए देना होगा. इसके बाद प्रै​क्टिस के बाद वह एमबीबीएस के लिए आवेदन कर सकता है.
 
 
भारत में प्रै​क्टिस के लिए नहीं देना होगा कोई टेस्ट
यूएस से की जाने वाली एमबीबीएस या एमडी भारत में मान्यता प्राप्त हैं. मतलब यह है कि अगर आपने यूएस से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है तो आपको भारत आकर ​प्रै​क्टिस के लिए विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन में बैठने से छूट मिलती है. मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया यूएस के कॉलेज और यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की जाने वाली एमडी की डिग्री को मान्यता देते हैं. साथ ही एमबीबीएस डिग्री को डब्ल्यूएचओ, ईसीएफएमजी और मेक जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के संगठन भी मान्यता देते हैं.
 
क्या है एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
इस प्रोग्राम में शामिल होने से पहले बारहवीं पास छात्रों को दो साल का प्री मेडिकल प्रोग्राम करना होता है. इसके बाद ही वह डिग्री कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके बाद 3 से 5 साल के रेजिडेंसी मैच प्रोग्राम के लिए आवेदन करना होता है जो कि भारत में डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन के समकक्ष माना जाता है. रेजिडेंसी प्रोग्राम को पूरा करने के बाद कोई भी अपनी प्रैक्टिस शुरू कर सकता है.
 
 
कितना आता है पढ़ाई पर खर्च
यूएस में करीब सात साल में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने में तकरीबन 2 से 3 लाख डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं. हालांकि यूएस की विभिन्न यूनिवर्सिटी और कॉलेज कई तरह के स्कॉलरशिप प्रोग्राम भी चलाते हैं. इनमें प्रोवोस्ट स्कॉलरशिप, डीन्स अचीवमेंट स्कॉलरशिप और हाई अचीवर स्कॉलरशिप शामिल हैं. इनके जरिए विदेशी छात्र अमेरिका के विश्वविद्यालय और कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं.
 
दो लाख डॉलर से ज्यादा होती है सैलरी
यूएस में एमबीबीएस करने का मतलब है करियर के लिहाज से तरक्की के दरवाजे खुलना. जानकारी के अनुसार यूएस में एक फैमिली फिजिशियन और जनरल सर्जन की एवरेज सैलेरी $2 लाख प्रति साल तक होती है. डॉक्टर बनने के बाद आप प्रै​क्टिस करते हुए लोगों की जान बचाने के साथ ही अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं.
 
जरूरी क्या है
भारत में डॉक्टर की परीक्षा पास करने के लिए डॉक्टर बनने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नीट पास करना जरूरी होता है. यूएस में किसी भी विश्वविद्यालय में भारतीय पासपोर्ट धारा छात्र को प्रवेश लेने के लिए आवेदन से पहले भारत में नीट की परीक्षा पास करना जरूरी है. इसके बाद 10वीं और 12वीं के ओरिजिनल सर्टिफिकेट, पासपोर्ट साइज फोटो, पर्सनल स्टेटमेंट, रिज्यूम व नॉन रिफंडेबल एप्लीकेशन फीस, आईईएलटीएस टेस्ट स्कोर व नीट स्कोरकार्ड जैसे दस्तावेजों के साथ आवेदन किया जा सकता है.
 

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