UPSC Success Story: संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की बहुप्रति​ष्ठित सिविल सेवा परीक्षा पास कर हर कोई अपने परिवार-रिश्तेदारों और परिचितों को खुशी पहुंचाता है. लेकिन अजमेर में पली-बढ़ी परी बिश्नोई परिवार-रिश्तेदारों के साथ ही अपने पूरे बिश्नोई समाज की बेटियों के लिए एक मिसाल बन गईं. परी अपने समाज की पहली महिला आईएएस अ​धिकारी हैं. आइये जानते हैं उनके बारे में

 

23 साल की उम्र में पास की परीक्षा

2019 बैच की आईएएस अ​धिकारी परी विश्नोई राजस्थान के बीकानेर जिले के काकरा गांव में अ​धिवक्ता पिता मनीराम बिश्नोई और पुलिसकर्मी मां सुशीला बिश्नोई के घर 26 फरवरी 1996 को पैदा हुईं. उन्होंने महज 23 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईएएस बन गईं. हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने मुकाम को पाने के लिए लंबा संघर्ष किया. इस परीक्षा को पास करने से पहले उन्होंने दो बार असफलता का सामना​ भी किया.

 


 

अजमेर से की शुरुआती पढ़ाई

परी की अपनी शुरुआती पढ़ाई अजमेर जिले में ​स्थित सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल से की. 12वीं में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने की ठान ली. सपना पूरा करने के लिए वह 12वीं पास कर दिल्ली आ गईं और दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करते हुए ही यूपीएससी की तैयारी में लग गईं. अजमेर की एमडीएस यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ ही उन्होंने नेट-जेआरएफ परीक्षा भी पास की लेकिन यूपीएससी के लक्ष्य से नहीं भटकीं.

 


 

सोशल मीडिया से रही दूर

जिस दौर में युवा सोशल मीडिया से दूर नहीं रहते, उस दौर में परी ने यूपीएससी की तैयारी के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना ली. यही नहीं, वह मोबाइल का भी इस्तेमाल नहीं करती थी. पहले दो प्रयास में वह मामूली अंकों से अपना लक्ष्य हासिल करने से रह गईं. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में कामयाबी हासिल कर ली.

 

रही थी ऑल इंडिया 30वीं रैंक

दो बार असफल रहने के बाद भी परी अपने लक्ष्य का पीछा करती रहीं. परी ने तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया 30वीं रैंक हासिल करके आईएएस अधिकारी बनने के अपने सपने को आ​​खिर पूरा कर ही लिया. आज वह अपने समाज की लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं. सि​क्किम कैडर की आईएएस अ​धिकारी परी वर्तमान में प्रदेश में अपनी सेवाएं दे रही हैं.

 


 

 

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