आज के समय में प्रयोग होने वाले स्मार्ट गैजेट कई प्रकार के कार्यों में उपयोग में आते हैं. पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन का यूज शिक्षक और विद्यार्थी कर रहे हैं. जिसका असर लोगों की आम जिंदगी में भी पढ़ रहा है. इसके ज्यादा इस्तेमाल से बड़ो से लेकर बच्चों तक सभी अवसाद, चिंता, सामाजिक अलगाव, अति-सक्रियता, अति-तनाव आदि का शिकार हो रहे हैं. जिसे देखते हुए दिल्ली के स्कूलों में मोबाइल फोन के उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है.
डायरेक्टर (एजुकेशन) हिमांशु गुप्ता की ओर से जारी नोटिस के अनुसार मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से नींद की कमी और कमजोर दृष्टि के मामले बढ़ रहे हैं. यह सीखने की प्रक्रिया में अरुचि पैदा कर सकता है और शैक्षणिक प्रदर्शन, जीवन संतुष्टि, आमने-सामने बातचीत की गुणवत्ता आदि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इसके अलावा धमकाने और उत्पीड़न की घटनाएं, रिकॉर्डिंग करना या अनुचित सामग्री अपलोड करना भी संभावित रूप से नकारात्मक हैं जो सामाजिक ताने-बाने के साथ-साथ बच्चे के भविष्य के लिए हानिकारक हैं.
इसलिए स्कूल परिसरों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को निश्चित रूप से विनियमित करने की आवश्यकता है. इसी क्रम में छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और स्कूलों के प्रमुखों को अपने स्कूलों में मोबाइल फोन के न्यूनतम उपयोग पर आम सहमति बनाने की आवश्यकता है. ताकि क्लास में ज्यादा सीखने का माहौल बनाए रखा जा सके. नोटिस में कहा गया है कि अभिभावक सुनिश्चित करें कि उनके बच्चे स्कूल परिसर में मोबाइल फोन न लेकर जाएं. यदि छात्र स्कूल में मोबाइल लाते हैं तो स्कूल प्रशासन को लॉकर की व्यवस्था करनी होगी जहां मोबाइल फोन जमा किया जा सके.
हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था
इसके अलावा कहा गया है कि शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को भी टीचिंग से जुड़ी गतिविधियों के समय मोबाइल का उपयोग करने से परहेज किया जाना चाहिए. वहीं, स्कूल के अधिकारियों को एक हेल्पलाइन नंबर जारी करना होगा. जिसकी मदद से छात्र व अभिभावक इमरजेंसी की स्थिति में बात कर सकें.
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