भारत में लगभग 1.1 लाख स्कूल सिंगल-टीचर संस्थाएं हैं. ये जानकारी यूनेस्को की '2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: नो टीचर्स, नो क्लास’ में  सामने आई है. देश में स्कूलों में कुल 19% या 11.16 लाख टीचिंग पोजिशन खाली हैं, जिनमें से 69% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.


कक्षा 3, 5 और 8 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार लो-लर्निंग आउटकम के साथ इसे को-रिलेट करते हुए, यूनेस्को ने टीचर्स के रोजगार की शर्तों में सुधार करने, गांवों में उनकी काम करने की स्थिति में सुधार करने के अलावा 'आकांक्षी जिलों' को चिन्हित करने और शिक्षकों को फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के रूप में मान्यता देने की सिफारिश की है.


महिलाएं (भारत में) शिक्षण कार्यबल का लगभग 50% हिस्सा हैं


यह अंडरलाइन करने के बाद कि 7.7% प्री-प्राइमरी, 4.6% प्राइमरी और 3.3% अपर-प्राइमरी शिक्षक अंडर क्वालिफाइड हैं रिपोर्ट अपने एग्जीक्यूटिव सारांश में बताती है: “चल रहे कोविड -19 महामारी ने सार्थक शिक्षा और लचीली शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और शिक्षकों द्वारा निभाए जाने वाले रोल को हाईलाइट किया है. महिलाएं (भारत में) शिक्षण कार्यबल का लगभग 50% हिस्सा हैं, लेकिन महत्वपूर्ण अंतर-राज्यीय और शहरी-ग्रामीण भिन्नताएं हैं.


मध्य प्रदेश में सिंगल टीचर स्कूलों की संख्या सबसे ज्यादा


एक लाख से ज्यादा वैकेंसी वाले तीन राज्य उत्तर प्रदेश (3.3 लाख), बिहार (2.2 लाख) और पश्चिम बंगाल (1.1 लाख) हैं. यूनेस्को की रिपोर्ट उन्हें इस पैरामीटर में तीन सबसे खराब राज्यों का दर्जा देती है. मध्य प्रदेश में सिंगल टीचर स्कूलों की संख्या सर्वाधिक (21077) है.ज्यादातर वैकेंसी ग्रामीण स्कूलों में हैं जैसे बिहार के मामले में, जहां 2.2 लाख शिक्षकों की जरूरत है और इनमें 89% गांवों में हैं. इसी तरह यूपी में खाली पड़े 3.2 लाख पदों में से 80 फीसदी ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में हैं. पश्चिम बंगाल के लिए यह आंकड़ा 69% है.


यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण-शहरी असमानता है और पूर्वोत्तर में क्वालिफाइड टीचर्स की उपलब्धता और तैनाती में सुधार की बहुत जरूरत है.


बिहार में अंडर क्वालिफाइड टीचर्स की संख्या ज्यादा


टीचर्स की क्वालिफिकेशन पर, यूनेस्को की रिपोर्ट कहती है कि बिहार में लगभग 16% प्री प्राइमरी, 8% प्राइमरी, 13% अपर प्राइमरी, 3% सेकेंडरी और 1% हायर सेकेंडरी शिक्षक अंडर क्वालिफाइड हैं. उच्च माध्यमिक स्तर पर सभी अंडर क्वालिफाइड शिक्षकों में से  लगभग 60% प्राइवेट अनएडेड (मान्यता प्राप्त) स्कूलों में हैं, जबकि 24% शिक्षा विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में हैं.


रिपोर्ट में शिक्षकों के करियर के रास्ते बनाने, पूर्व-सर्विस प्रोफेशनल डेवलपमेंट के पुनर्गठन और करिकुलर व शैक्षणिक सुधार को मजबूत करने और मीनिंगफुल ICT ट्रेनिंग प्रदान करने की सिफारिश की गई है.


सभी सिंगल-टीचर स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं


निष्कर्षों के अनुसार, “हालांकि शिक्षक उपलब्धता में सुधार हुआ है, सेकेंडरी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात प्रतिकूल है. स्पेशल एजुकेशन, म्यूजिक, आर्ट्स और फिजिकल एजुकेशन टीचर्स की उपलब्धता के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सब्जेक्ट टीचर्स की उपलब्धता और तैनाती भी अच्छी तरह से डॉक्यूमेंटड और मॉनिटर्ड नहीं की जाती है. लगभग सभी सिंगल-टीचर स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, और स्कूल लाइब्रेरी और इंफॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के बुनियादी ढांचे के प्रोविजन बहुत कम हैं.


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