Permanent Accomodation Needed For Kendriya Vidyalaya: एक तरफ जहां शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ जगहों पर केंद्रीय विद्यालयों की स्थिति बिगड़ी हुई है. यहां स्कूल टेंट और अस्थाई भवनों में चलाए जा रहे हैं. खराब बात ये है कि ये कंडीशन सालों से बनी हुई है और आज तक इसमें कोई सुधार नहीं हो पाया है. ये आंकड़ा हर जगह का अलग-अलग है. किसी-किसी राज्य में सबसे ज्यादा केंद्रीय विद्यालय ऐसे हैं जो तंबू यानी टेंट या टेम्परेरी बिल्डिंग में चल रहे हैं. जानते हैं विस्तार से.
किस राज्य का क्या हाल
इस बारे में ताजा मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 250 से ज्यादा केंद्रीय विद्यालय आज भी टेंट और टेम्परेरी बिल्डिंग में चल रहे हैं. इनमें से सबसे बुरा हाल बिहार राज्य का कहा जा सकता है. यहां करीब 16 केंद्रीय विद्यालय टेंट या तंबू में चल रहे हैं. एक स्कूल तो ऐसा है जो 35 साल से टेंट में चल रहा है. जब से ये स्कूल बना है तब से लेकर आज तक बिल्डिंग मुहैया नहीं हो पायी. ऐसे ही बहुत से स्कूल परमानेंट बिल्डिंग की आस में हैं लेकिन उन्हें जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही. जब राज्य सरकार जमीन देती है तब केंद्र सरकार उस पर अपने खर्च से स्कूल बनाती है. लैंड उपलब्ध न होने से स्कूल टेंट या अस्थाई भवन में चल रहे हैं.
यहां सबसे ज्यादा अस्थाई भवन
अगर कुल स्कूलों की संख्या के लिहाज से बात करें तो सबसे ज्यादा केंद्रीय विद्यालय जो अस्थाई भवनों में चल रहे हैं, वे यूपी में हैं. कुछ समय पहले मिनिस्टर ऑफ स्टेट सुभाष सरकार से जब इस बारे में लोकसभा में सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि 253 स्कूल टेम्परेरी बिल्डिंग में चल रहे हैं. उनका ये भी कहना था कि कोई भी स्कूल किराये की जगह पर नहीं चलाया जा रहा है. इन केंद्रीय विद्यालयों के लिए जमीन खरीदना और कंस्ट्रक्शन कराना एक लंबी प्रक्रिया है और इस ओर काम हो रहा है.
यूपी में कितने केंद्रीय विद्यालय अस्थाई भवनों में
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 23 केंद्रीय विद्यालय अस्थाई भवनों में चल रहे हैं. इसके बाद एमपी में 21, ओडिशा में 18 और बिहार में 18 स्कूल टेम्परेरी बिल्डिंग में हैं. जेके, उत्तराखंड, राजस्थान, वेस्ट बंगाल, पंजाब और झारखंड लिस्ट के बाकी नाम हैं.
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