मुगलों ने कई सालों तक हिंदुस्तान पर राज किया. उनके राज करने की शुरुआत बाबर के समय से हुई थी. लेकिन अकबर की गिनती मुगलों के सभी राजाओं में काफी ऊपर होती है. अकबर का जन्म अबके पाकिस्तान में हुआ था. 15 अक्टूबर 1542 को जन्में अकबर का शासनकाल 1556 से लेकर 1605 तक चला था. अकबर को एक समय अपने पिता के साथ भारत से भागना पड़ा था. लेकिन कुछ सालों बाद उन्होंने भारत लौटकर मुगल सिंहासन पर कब्जा किया. आज के टाइम पर जब भी अकबर की बात होती है तो बीरबल का जिक्र भी जरूर होता है, क्या आप जानते उस समय बीरबल व सिपाहियों को कितना वेतन दिया जाता था.


मुगल काल में सेनापति और सैनिक का वेतन निर्धारण मनसबदारी प्रथा के जरिए किया जाता था. मनसब अरबी भाषा का शब्द है. इसका मतलब पद या रैंक होता है. मनसब शब्द शासकीय अधिकारियों तथा सेनापतियों का पद निर्धारित करता था. मनसबदारों की नियुक्ति बादशाह करते थे. अकबर के शासनकाल में मनसबदारों की संख्या लगभग 1800 थी, जो औरंगजेब के शासनकाल के अंत तक 14,500 हो गई. इसका मतलब ये है कि इस अवधि के दौरान मनसबदारों की संख्या में करीब आठ गुना बढ़ गई थी. अकबर के शासन के दौरान सिपाहियों का वेतन उनके पद, अनुभव, लड़ाई कौशल व सेना में योगदान के आधार पर अलग-अलग होता था.


इतनी थी अकबर की संपत्ति


रिपोर्ट्स बताई हैं कि उस वक्त मुगल सम्राट अकबर की संपत्ति विश्व की जीडीपी की 25 फीसदी के बराबर हुआ करती थी. रिपोर्ट्स बताती हैं कि साल 1595 में बादशाह की कुल आय 9 करोड़ रुपये थी. अगर अकबर के दरबार की आन, बान और शान बीरबल को काफी चतुर कहा जाता था. एक रिपोर्ट के अनुसार उनका नाम महेशदास दुबे था. उनका जन्म मध्य प्रदेश के सिधी जनपद के घोघरा में हुआ था.


बीरबल को मिलती थी बेहतरीन सैलरी  


तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अकबर के साम्राज्य में बीरबल की सैलरी उस समय के लिहाज से काफी बेहतरीन थी. रुपये के हिसाब से अकबर अपने प्रमुख वजीर बीरबल को उस समय 16 हजार प्रति माह का वेतन देता था. उस वक्त 16 हजार रुपये बहुत अधिक होते थे. वह अकबर के नवरत्नों में से एक थे. अकबर के काल में सेना के सबसे छोटे सिपाहियों को 400 रुपये हर महीने दिए जाते थे.


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