जिला स्तर से मिले इनपुट पर आधारित होगा राष्ट्रीय पाठ्यक्रम, संसदीय समिति जुलाई में सौंपेगी रिपोर्ट
शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम जिला स्तर पर इनपुट के आधार पर तैयार किया जाएगा. पाठ्यक्रम लागू करने से पहले राज्य और जिला स्तर पर भी परामर्श किया जाएगा. वहीं, एजुकेशन की संसदीय समिति के अध्यक्ष विनय प्रभाकर सहस्रबुद्धे ने कहा कि समिति जुलाई के अंत में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम जिला स्तर पर इनपुट के आधार पर तैयार किया जाएगा. मंत्रालय ने एजुकेशन की संसदीय समिति को इस सप्ताह की शुरुआत में बताया कि पाठ्यक्रम डवलपमेंट फ्रेमवर्क टॉप टू डाउन प्रैक्टिस नहीं नहीं होगा. इसको लागू करने से पहले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का पाठ्यक्रम आएगा और इसके बाद जिला स्तर पर भी परामर्श किया जाएगा.
पैनल के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद विनय प्रभाकर सहस्रबुद्धे के अनुसार, समिति जुलाई के अंत में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. उन्होंने कहा कि किताबें बड़ी नहीं होनी चाहिए और इतिहास, भूगोल साहित्य जैसे विषयों में क्षेत्रीय फ्लेवर लाना चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के अनुसार पहचाने गए क्षेत्रों या विषयों में पोजीशन पेपर राज्य पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क (एससीएफ) का आधार होंगे और इसके आधार पर एनसीएफ डेवलप किया जाएगा.
चार एनसीएफ डेवलप किए जाएंगे
स्टेट फोकस ग्रुप के पोजीशन पेपर के लिए दिशानिर्देश और प्रस्तावित टेम्पलेट के अनुसार चार एनसीएफ ( नेशनल करिक्यलम फ्रेमवर्क) विकसित किए जाने हैं. अर्ली चाइल्डहुड एंड एजुकेशन, स्कूल एजुकेशन, टीचर एजुकेशन और एडल्ट एजुकेशन. हर एनसीएफ के लिए राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पहले एनईपी में पोजीशन पेपर के आधार पर अपना एससीएफ तैयार करेंगे. इस प्रक्रिया का उद्देश्य एनईपी की कुछ चिंताओं को दूर करना होगा.
सभी पोजीशन पेपर में दो सेक्शन होंगे. पहला सेक्शन सभी फोकस ग्रुप पेपर्स के लिए सामान्य होगा और दूसरे सेक्शन में पोजीशन पेपर की विशिष्ट विशेषताएं शामिल होंगी.
क्षेत्रीय हिसाब से कंटेंट शामिल हो
स्कूली शिक्षा पर एनसीएफ से अपनी अपेक्षाओं पर सहस्रबुद्धे ने कहा कि “नए पाठ्यक्रम में नई शिक्षा नीति रिफलेक्ट होनी चाहिए. पाठ्यपुस्तक की साइज बहुत भारी नहीं होना चाहिए और यह एक एजॉय वाली शिक्षा की ओर अग्रसर होना चाहिए. हर पाठ्यपुस्तक को एक ई-पाठ्यपुस्तक के साथ सप्लीमेंट भी किया जाना चाहिए. ”
सहस्रबुद्धे ने स्थानीयता के हिसाब से केंटट को कस्टामाइज करने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि एक साइज सभी के लिए सही नहीं है. कंटेट को स्थानीय कंटेंट के साथ कस्टामाइज किया जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें-
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI