नई दिल्लीः क्या आप जानते हैं कि मेडिकल की पढ़ाई और डेंटिस्ट बनने की पढ़ाई के लिए होने वाली एमबीबीएस और बीडीएस की परीक्षा नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) के जरिए टेस्ट लेने वाली एजेंसी को कितनी रकम हासिल हो रही है. दरअसल नीट का पेपर देने के लिए अभ्यर्थियों को एप्लीकेशन फॉर्म भरना होता है और इसके लिए उन्हें एक तयशुदा फीस देनी होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बार नीट परीक्षा के आवेदन शुल्क के जरिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को 192 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम हासिल हुई है.


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पहले जानें नीट परीक्षा के लिए कितनी रखी गई थी फीस?
नीट परीक्षा के लिए जनरल कैटेगरी और ओबीसी कैटेगरी के लिए आवेदन फीस 1400 रुपये रखी गई थी. इसके अलावा एससी-एसटी कैटेगरी के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 750 रुपये रखी गई थी.


कितने परीक्षार्थियों ने लिया था परीक्षा में भाग
कुल 15,19,375 अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था और इनमें से 14,10,755 उम्मीदवारों ने नीट का एग्जाम दिया था. इस एग्जाम का रिजल्ट 5 जून को आया था.



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सूचना के अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी चंद्रशेखर गौड़ ने इसको लेकर आरटीआई डाली थी और नीट परीक्षा के बारे में जानकारी चाही थी. इस के जवाब में उन्हें बताया गया कि नीट 2019 में हुए रजिस्ट्रेशन के जरिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को 192 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम हासिल हुई थी. आरटीआई के जवाब में उन्हें इस बारे में पूरा विवरण दिया गया और ये रकम 192 करोड़ 43 लाख 22 हजार 162 रुपये बैठती है.


सवाल है कि इस रकम का होता क्या है
इस बार जो 192 करोड़ रुपये की रकम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को हासिल हुई है उसका मुख्य रूप से उपयोग परीक्षा कराने की लागत के तौर पर सामने आया. इसके अलावा शेष बची रकम का इस्तेमाल परीक्षा से जुड़े कामों और लक्ष्यों के लिए किया जाता है.


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हालांकि इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी देने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने इंकार कर दिया और इसके लिए सूचना का अधिकार-अधिनियम 2005 की धारा 8 (1) (डी) और (ई) का जिक्र किया. इसके तहत फीस निर्धारण के लिए जो बैठक की गई थी उसकी जानकारी देने से इंकार कर दिया.


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हालांकि लंबे समय से ये मांग की जा रही है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों से वसूला जाने वाला शुल्क कम होना चाहिए या बिलकुल नहीं होना चाहिए. अगर सरकार फीस खत्म करने के बारे में कोई फैसला नहीं भी ले पाती है तो कम से कम सिस्टम बनाना चाहिए जिससे अभ्यर्थियों को बेहद कम फीस या चार्ज देना पड़े.


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