NCF Suggests Semester System In Class 12th Exams: नेशनल क्यूरीकुलम फ्रेमवर्क ने स्कूलों की कार्यप्रणाली में आधारभूत बदलाव करने वाली कई तरह की सिफारिशें की हैं. एनसीएफ ने कहा है कि स्कूलों को हफ्ते में 6 दिन की जगह 5.5 दिन वर्किंग रखना चाहिए. यानी शनिवार को हाफ डे किया जा सकता है. इसके मुताबिक हफ्ते में 29 घंटे की पढ़ाई कराने के निर्देश हैं. फ्रेमवर्क ये भी सलाह देता है कि प्रिपरेटरी और मिडिल स्कूल के लिए क्लास की टाइमिंग 40 मिनट और क्लास 9वीं और आगे के लिए क्लास की टाइमिंग 50 मिनट होनी चाहिए.
पिछली बार से हुआ है बदलाव
साल 2005 में जहां एनसीएफ ने केवल स्कूलों को टाइमिंग और एकेडमिक ईयर में छूट देने की बात कही थी. कहा था कि स्कूल का दिन 6 घंटे का और क्लास की टाइमिंग 45 मिनट की होनी चाहिए. वहीं इस साल एनसीएफ ने स्कूल टाइमिंग और एकेडमिट ईयर को लेकर नया फ्रेमवर्क सजेस्ट किया है. ये डॉक्यूमेंट अब पब्लिक कमेंट्स के लिए खोल दिया गया है. इसमें कहा गया है कि एकेडमिक ईयर 180 स्कूल डेज और 34 हफ्तों को होना चाहिए. ऐसा एजुकेशन की सभी स्टेजेस में होना चाहिए.
लागू हुईं सिफारिशें तो क्या कुछ बदलेगा
अगर एनसीएफ की सिफारेशें लागू हो जाती हैं तो कुछ इस तरह के बदलाव होंगे. हफ्ते के सभी दिन 25 मिनट की एसेंबली होगी लेकिन शनिवार को एसेंबली नहीं होगी. हर पीरियड 40 मिनट का होगा अगर कुछ सब्जेक्ट्स को ब्लॉक पीरियर-क्लास टाइम की जरूरत होगी तो इस समय को 80 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है.
स्टूडेंट्स को ट्रांजीशन टाइम 5 मिनट मिलेगा. जिसमें वे अगली क्लास के लिए तैयार हो सकते हैं. शनिवार को लंच 45 मिनट की जगह 30 मिनट का होगा.
सेकेंडरी स्टेज के चेंज क्या होंगे
क्लास 9वीं और इससे ऊपर के लिए एसेंबली 25 मिनट की होगी. क्लास का टाइम 50 मिनट होगा लेकिन ब्लॉक पीरियड होने पर इसे 50 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है. ट्रांजीशन टाइम 5 मिनट होगा और स्नैक ब्रेक नहीं होगा. हालांकि लंच ब्रेक 55 मिनट का हो जाएगा. एक एडिशनल इनरिचमेंच पीरियड होगा जिसमें छाज्ञ विषय विशेष की पढ़ाई कर सकते हैं.
बदल सकता है एग्जाम का पैटर्न भी
एनसीएफ ड्राफ्ट ने ये भी सलाह दी है कि बोर्ड के एग्जाम साल में दो बार आयोजित होने चाहिए. क्लास 12 में सेमेस्टर सिस्टम आना चाहिए जिसमें छात्र साल में दो बार पेपर दे सकें. इसके अलावा स्टूडेंट्स को छूट मिलनी चाहिए कि वे साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के मिक्सचर को चुन सकें. अभी जैसे तीनों स्ट्रीम्स के बीच सख्त बाउंड्री हैं, वैसा नहीं होना चाहिए.
अगर ये सिस्टम लागू होता है तो स्कूलों में भी कॉलेज की तरह बोर्ड एग्जाम सेमेस्टर के हिसाब से यानी साल में दो बार आयोजित किए जाएंगे. देखना ये है कि ये नियम मान्य होते हैं या नहीं या इन पर पब्लिक कैसी राय रखती है.
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