जम्मू कश्मीर के पुलवामा का नाम हमेशा ही गलत खबरों के चलते सुर्खियों में रहता आया है. लेकिन कभी-कभी पुलवामा से ऐसी खबर भी आती हैं जो ना सिर्फ प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश को यह बता देती है कि यहां के लोग कितने काबिल और मेहनत वाले हैं.


NEET परीक्षा के नतीजे आने के बाद जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का नाम सुर्खियों में है. यहां के एक छोटे से गांव रत्निपोरा के रहने वाले एक लड़के ने परीक्षा में टॉप करके इतिहास बना दिया है. यह पहली बार है कि जम्मू-कश्मीर के किसी छात्र ने इतने अच्छे रैंक से यह परीक्षा पास की.


720 में से 695 अंक हासिल किए
18 साल के बासित बिलाल खान ने नीट परीक्षा में 720 में से 695 अंक हासिल कर प्रदेश में टॉप किया और देश में 188 रैंक हासिल की. बिलाल अपनी कामयाबी के लिए अपने माता-पिता और अपने शिक्षकों को श्रेय दिया है. बिलाल के मुताबिक उनकी यह कामयाबी शिक्षकों की मेहनत का ही नतीजा है.


बिलाल का कहना है कि "यह कामयाबी मेरे लिए आसान नहीं थी और खराब हालात के चलते काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पिछले दो सालों से कश्मीर के हालात खराब रहे और उसके बाद महामारी भी आई. जिससे तैयारी पर बहुत असर पड़ा लेकिन मेरे शिक्षकों ने मेरा पूरा साथ दिया."


पुलवामा के रत्निपोरा गांव के रहने वाले बासित के पिता एक डेंटल सर्जन हैं और मां एक ग्रेहणी, जो अब खुशी से झूम रहे हैं. परिवार का कहना है कि बासित इससे भी अच्छा कर सकता था लेकिन हलात के चलते उसके रैंक में थोड़ी कमी रही.


NEET टॉपर के सामने बासित बिलाल की कामयाबी बड़ी
बिलाल ने आज से तीन साल पहले जिस कोचिंग सेंटर में दाखिला लिया उसके संचालक डॉ बासित अहमद का कहना है कि उड़ीसा के NEET टॉपर शोएब अफ़ताब ने 720 में से 720 अंक हासिल किए और एक बड़ा कारनामा अंजाम दिया लेकिन उनके सामने बासित की कामयाबी बड़ी है!


डॉ बासित के अनुसार शोएब ने पूरे तीन साल बिना किसी परेशानी के पढ़ाई की और बिलाल के मुकाबले सिर्फ 4-5 सवाल ज्यादा ठीक किए. हमारे लिए 14 महीनों में पहले धारा-370 के बाद लगे कर्फ्यू और फिर इंटरनेट पर लगे प्रतिबंद ने मुश्किल बढ़ाई.


कश्मीरी युवाओं के लिए बना रोल मॉडल
कोचिंग के लिए ऑनलाइन वीडियो बनाकर 2G पर अपलोड करने में तीन दिन का समय लगता था जिससे बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. अगर सभी सुविधाएं मिलती तो बासित का रैंक और अच्छा हो सकता था. शिक्षक इस बात से खुश हैं कि बासित ने इस धारणा को तोड़ा, जो कश्मीर के युवाओं को यह बताती है कि वह राष्ट्रीय स्तर की किसी परीक्षा को पूरा नहीं कर सकते.


इस बात से खुद बासित भी सहमत हैं और कहते है कि उन्होंने 720 में से 695 अंक हासिल किए. अब वह दिन दूर नहीं जब कोई और बच्चा 720 में से 720 नंबर हासिल करेगा, लेकिन इसके लिए कश्मीर के हालात ठीक होना पहली जरुरत है.


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