Netaji Subhash Chandra Bose: देशभक्ति शब्द किसी भी व्यक्ति के लिए उसके देश के प्रति प्यार, निष्ठा और अपने नागरिकों के साथ गठबंधन और भाईचारे की भावना को दर्शाता है. ये बिना किसी शर्त के राष्ट्र का सम्मान और समर्थन करता है.
अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम और उसके लिए कुछ भी करने का उत्साह और बलिदान की भावना रखने वाले को देशभक्त कहा जाता हैं, देशभक्ति लोगों को देश के प्रति जीने, प्यार करने, लड़ने तथा जरूरत पड़ने पर अपने प्राणों को न्योछावर करने के लिए प्रोत्साहित करती है. ऐसे ही सच्चे देशभक्त थे सुभाष चंद्र बोस जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया. आज पराक्रम दिवस है और यह दिवस महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के सम्मान में मनाया जाता है.
हमारा देश हमेशा से ही वीर भूमि और वीरों का देश रहा है, जब-जब किसी ने इस वीर भूमि की वीरता को क्षीण करने का प्रयास किया है तब-तब इस भूमि की कोख से वीर सपूतों ने जन्म लिया और इसकी शान और सम्मान पर जरा भी आँच नहीं आने दी है. इन्हीं वीर सपूतों में एक थे नेताजी सुभाष चन्द्र, जिन्होंने भारत भूमि की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लोहा ले आजादी की लड़ाई में अपना बहुमूल्य योगदान दिया. वीर और पराक्रम का पर्याय माने जाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस को पूरा भारतवर्ष आज “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाता है.
पराक्रम दिवस प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को मनाया जाता है. यह दिन नेताजी जयंती या नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के नाम से भी जाना जाता है. ‘पराक्रम’ यह शब्द सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के असीम वीरता और साहसी व्यक्तित्व को दर्शाता है. पराक्रम दिवस देश के सभी हिस्सों में पूरे सम्मान के साथ मनाया जाता है. यह दिन हमें नेताजी सुभाष चंद्र जैसा वीर और साहसी बनने के लिए प्रेरित करता है.
23 जनवरी, 1987 को कटक में जन्में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस एक प्रखर व कट्टर राष्ट्रवादी, स्वतंत्रता प्रेमी और अंग्रेजी सरकार के बड़े आलोचको में से एक थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’’ के नारे की शुरुआत की और 1943 में रासबिहार बोस से “आज़ाद हिंद फौज’’ की कमान अपने हाथो में लेते हुए इसके चीफ कमाण्डर की हैसियत से आज़ाद भारत की एक स्वतंत्र लेकिन अस्थायी सरकार का गठन किया. जिसे कुल 9 देशो ने जिनमें कोरिया, चीन, जर्मनी, जापान, इटली व आयरलैंड आदि ने आधिकारिक मान्यता भी प्रदान की.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) का जन्म एक संपन्न हिंदू परिवार में हुआ था. नेताजी के पिता जानकीनाथ बोस शहर के एक मशहूर वकील थे तथा उनकी माता (प्रभावती देवी) एक कुशल गृहणी थीं, कुल 14 भाई बहनों में ये 9वीं संतान थे. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा-दिक्षा कटक में ही हुई थी, आगे इन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से 1918 में बी. ए. की पढ़ाई पूरी की. इसके पश्चात इन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा पास कर के अपने अद्वितीय प्रतिभा का परिचय दिया. नेताजी (Netaji) का मानना था कि यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो, राह चाहे कितनी भी पथरीली और भयानक हो, हमें उस पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए. हमें सफलता एक दिन जरुर प्राप्त होगी.
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