केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूलों की जवाबदेही तय करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों के गैर-अनुपालन पर जुर्माना लग सकता है, और यहां तक ​​कि स्कूलों की मान्यता भी छीन ली जा सकती है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक विशेषज्ञ समिति द्वारा 'स्कूल सेफ्टी एंड सिक्योरिटी पर दिशानिर्देश' तैयार किए गए हैं, यह आदेश 2017 में गुड़गांव के एक इंटरनेशनल स्कूल में मारे गए एक छात्र के पिता द्वारा दायर एक रिट याचिका के जवाब में आया था, जिसमें स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों कीसुरक्षा के मामले में स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई थी.  


स्कूलों के हेड के पास बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी 


शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के साथ 1 अक्टूबर को शेयर किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन या प्रिंसिपल या स्कूल के प्रमुख के पास स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है. माता-पिता यह निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि क्या स्कूल अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है.


इसमें कहा गया है कि "जब कोई बच्चा स्कूल में होता है, तो स्कूल का एक बच्चे पर वास्तविक प्रभार या नियंत्रण होता है, और यदि स्कूल जानबूझकर बच्चे की उपेक्षा करता है, तो बच्चे को अनावश्यक मानसिक या शारीरिक पीड़ा का कारण बनने की संभावना है,  किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के उल्लंघन के रूप में माना जा सकता है. ”


दिशानिर्देशों में लापरवाही की 11 कैटेगिरी की पहचान की गई है


इन दिशानिर्देशों को पहले से मौजूद सभी स्कूल सेफ्टी गाइडलाइन्स के अतिरिक्त लागू किया जाएगा. और दिशानिर्देशों में लापरवाही की 11 कैटेगिरी की पहचान की गई, जिसके लिए स्कूल प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाएगा.



  • इसमें सुरक्षित बुनियादी ढांचे की स्थापना में लापरवाही

  • सुरक्षा उपायों से संबंधित लापरवाही

  •  परिसर में उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन और पानी के स्तर में लापरवाही

  •  छात्रों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने में देरी

  • एक छात्र द्वारा रिपोर्ट की गई शिकायत के खिलाफ कार्रवाई में लापरवाही

  • मानसिक, भावनात्मक उत्पीड़न, बदमाशी को रोकने में लापरवाही

  •  भेदभावपूर्ण कार्रवाई

  • स्कूल परिसर में मादक द्रव्यों का सेवन

  •  आपदा या अपराध के समय निष्क्रियता सहित सजा

  • कोविड -19 दिशानिर्देशों के सख्त कार्यान्वयन में लापरवाही, जिसके परिणामस्वरूप छात्रों की सुरक्षा और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है


इसके साथ ही दिशानिर्देशों में किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण की रोकथाम, या POCSO, (संशोधन) विधेयक, 2019 की विभिन्न धाराएँ भी निर्धारित की गई हैं, जिसके तहत स्कूल प्रशासन को उपरोक्त लापरवाही के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है.


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