UGC new rule for PhD: यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने पीएचडी के लिए नया नियम निकाला है. इस नियम के तहत 62 साल से अधिक के शिक्षक नया रिसर्च वर्क नहीं करा सकते. शोधार्थी 62 साल या उससे अधिक के शिक्षकों को गाइड के तौर पर नहीं चुन सकते. हालांकि इनके अंडर में अगर पहले से कोई रिसर्च वर्क चल रहा है तो उसे वे पूरा कराएंगे लेकिन नया शोध नहीं शुरू कराएंगे. यूजीसी ने इसके लिए गाइडलाइन जारी की है.
इस नियम के कारण बना नया रूल
यूजीसी ने पीएचडी कैंडिडेट्स के लिए भी नया रूल निकाला है. इसके तहत इन उम्मीदवारों को कम से कम तीन साल के अंदर रिसर्च वर्क पूरा करना होगा. इसी वजह से 62 साल के शिक्षकों को नए रिसर्च वर्क के लिए गाइड बनाने की मनाही है. इस केस में शिक्षक अपने रिटायरमेंट की उम्र यानी 65 साल तक पहुंच जाएंगे और कैंडिडेट का शोध पूरा नहीं हो पाएगा. इस वजह से 62 साल के टीचर्स को नये रिसर्च वर्क के लिए गाइड बनने की अनुमति नहीं है.
इस बात पर भी निर्भर करेगी गाइडलाइन
यूजीसी की नई गाइडलाइन राजभवन से स्वीकृत होने के बाद ही बिहार की यूनिवर्सिटीज में लागू होगी. इस बारे में एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि नई गाइडलाइन का लागू होना इस बात पर भी निर्भर करेगा कि देश या राज्य के विश्वविद्यालयों में संसाधन किस तरह के उपलब्ध हैं.
शोधकार्य की गुणवत्ता जरूरी
अभी की स्थिति में कई बार ऐसा होता है कि गाइड की रिटायरमेंट एज पास आने पर कैसे-तैसे शोध कार्य पूरा करा दिया जाता है. इससे रिसर्च की क्वालिटी गिरती है. इसे रोकने के लिए नई गाइडलाइन लायी गई है क्योंकि रिसर्च पूरा होना जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण है उसकी गुणवत्ता मेंटेन होना.
इस नियम पर हो रहा है विचार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिक्षकों को रिटायरमेंट की उम्र सीमा 65 साल पूरी करने के बाद भी 70 साल की उम्र तक शोध कराने का नया नियम बनाया गया है, जिसका ड्राफ्ट अभी राजभवन में विचाराधीन है. इसके तहत अगर कोई टीचर रिटायर होने से पहले किसी स्टूडेंट के गाइड बनें हैं तो रिटायर होने के बाद भी 70 साल की उम्र तक उसका रिसर्च वर्क पूरा करा सकेंगे. हालांकि ये ड्राफ्ट आने से पहले ही यूजीसी ने रिसर्चर्स के लिए शोध कार्य पूरा करने की न्यूनतम सीमा 3 साल कर दी.
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