National Medical Commission: भारत के चिकित्सा शिक्षा नियामक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) ने एक एंटी-रैगिंग समिति का गठन किया है. जिसने मेडिकल कॉलेजों से पिछले पांच सालों में छात्रों द्वारा आत्महत्या के केसों की जानकारी मांगी है. समिति ने ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए एक ईमेल आईडी antiragging@nmc.org बनाई है, जो छात्रों को कॉलेज के बाहर एक और निवारण तंत्र प्रदान करती है.


अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की अध्यक्ष डॉ अरुणा वाणिकर (Dr. Aruna Wanikar) की अध्यक्षता में समिति ने पिछले महीने के अंत में हुई अपनी पहली बैठक के दौरान छात्रों और अभिभावकों की रैगिंग की शिकायतों की समीक्षा की थी. उन्होंने कहा कि, सभी कॉलेजों से अनुरोध है कि वे एनएमसी की ओर से जारी नोटिस को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करें. साथ ही, छात्रावास, मेस, कक्षा, पुस्तकालय, लेक्चरर रूम, कॉमन रूम आदि स्थानों पर इस नोटिस को चिपकाएं.


शिकायत सिस्टम के अलावा, समिति ने मेडिकल कॉलेजों को पिछले पांच सालों के दौरान आत्महत्या से मरने वाले छात्रों की संख्या, कॉलेज छोड़ने वाले छात्रों की संख्या के बारे में जानकारी भेजने के लिए कहा है. समिति ने सभी कॉलेजों को 7 अक्टूबर तक विवरण भेजने के लिए कहा है. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर डॉ अविरल माथुर ने कहा कि 2000 के दशक की शुरुआत से रैगिंग विरोधी भावना ने गति पकड़ी थी, जिसके बाद रैगिंग की घटनाओं में काफी कमी आई है. उन्होंने कहा कि एनएमसी के द्वारा शुरू की गई ये पहल काबिले तारीफ है.


फीस बढ़ोत्तरी गंभीर समस्या


फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रोहन कृष्णन (Dr. Rohan Krishnan) ने भी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में फीस की बढ़ोत्तरी रैगिंग से अधिक अकादमिक दबाव है. हालांकि पिछले कुछ सालों में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ी है, लेकिन प्रतिस्पर्धा कम नहीं हुई है.


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