अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने कॉलेजों को नए एकेडमिक ईयर (2020-21) से मराठी सहित आठ क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की डिग्री देने की अनुमति दी है. अन्य भाषाएं जिनमें इंजीनियरिंग की डिग्री दी जाएगी उनमें हिंदी, बंगाली, तेलुगु, तमिल, गुजराती, कन्नड़ और मलयालम भाषा शामिल हैं.
ग्रामीण और आदिवासी स्टूडेंट्स के लिए सराहनीय पहल
इस कदम से विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के उम्मीदवारों को अपने सपनों को साकार करने में मदद मिलेगी. दरअसल आज तक कई मेधावी छात्र अंग्रेजी के डर से इंजीनियरिंग जैसे कोर्सेस से दूर ही रहते थे. बता दें कि बहुत से उन्नत देश जैसे जर्मनी, फ्रांस, रूस, जापान और चीन अपनी आधिकारिक भाषाओं में पूरी एजुकेशन प्रदान करते हैं.
स्टूडेंट्स को मातृभाषा में टेक्निकल एजुकेशन प्रदान करना है उद्देश्य
इस पहल को लेकर एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे कहते हैं कि, “ऐसा करने के पीछे उद्देश्य छात्रों को उनकी मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करना है ताकि वे बुनियादी बातों को बेहतर तरीके से समझ सकें.”
11 और भाषाओं में यूजी इंजीनियरिंग कोर्स पेश करने की प्लानिंग
टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि “हमें पूरे देश से लगभग 500 आवेदन प्राप्त हुए हैं. हमने भविष्य में 11 और भाषाओं में यूजी इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पेश करने की योजना बनाई है. एआईसीटीई इन सभी भाषाओं में कोर्स मैटिरियल उपलब्ध करा रहा है. इसके साथ ही Swayam के तहत पढ़ाए जाने वाले कोर्सेस और बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन कोर्सेस (एमओओसी) पोर्टलों को ट्रांसलेट भी कर रहा है.”
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